▪️ _रांची। खोरठा भाषी, खोरठा प्रेमी खोरठा के महान आदि कवि श्रीनिवास पानुरी की जन्म दिन को खोरठा दिवस के रूप में मानते है।_
▪️इस निमित आज दिनांक 25/12/2021 डी 7, दीनदयाल नगर मोरहाबादी आवासीय परिसर खोरठा साहित्य संस्कृति परिषद ,रांची के बैनर में श्री निवास पानुरी जीक 101 वीं जन्म दिन पर आयोजित खोरठा दिवस समारोह धूमधाम से मनाया गया।
▪️इस मौके पर खोरठा कर्मी, खोरठा प्रेमी , लेखक साहित्यकार, कवि कलाकार ,गीतकार, संस्कृतिकर्मी, शिक्षक प्रध्यापक, खोरठा शोधार्थी,विद्यार्थी,प्रतियोगि परीक्षाओं के अभ्यर्थी सेकड़ो की संख्या में शामिल हुवे।
▪️इस समारोह में डॉ लंबोदर महतो (विधायक गोमिया) डॉ बी.एन.ओहदार (अध्यक्ष, खोरठा साहित्य संस्कृति परिषद) डॉ बिनोद कुमार ( विभागाध्यक्ष जनजातीय क्षेत्रीय भाषा विभाग डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय ) कुमारी शशी (विभागाध्यक्ष,जनजातीय क्षेत्रीय भाषा विभाग रांची विश्वविद्यालय) डॉ गजाधर महतो "प्रभाकर" ( शिक्षक साहित्यकार) ओहदार अनाम "अजनवी" (विभागाध्यक्ष जनजातीय क्षेत्रीय भाषा विभाग, राधा गोविंद विश्वविद्यालय) प्रो0 दिनेश कुमार "दिनमनी" (प्रध्यापक जनजातीय क्षेत्रीय भाषा विभाग,रांची विश्वविद्यालय) प्रो0 पूर्णकान्त कुमार (सहायक प्राध्यापक रामगढ़ महिला महाविद्यालय)
शोधार्थी संदीप कुमार महतो, उमेश कुमार, राजेश कुमार अंग्रेज, बसंत कुमार विशेष रूप से उपस्थित रहे।
*खोरठा भाषा के विकास में सरकार बाधा जल्द से जल्द आठवीं अनुसूची में शामिल करें सरकार : डॉ. लंबोदर महतो* बतौर मुख्य वक्ता खोरठा दिवस पर खोरठा भाषियों को बधाई एवं शुभकानाएं प्रेषित करते हुए खोरठा सहित सभी जनजातीय क्षेत्रीय भाषाओं पर विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए झारखंड में जनजातियों एवं क्षेत्रीय भाषाओं की दुर्गति विश्वविद्यालय के विभागों का नही खुलना पढ़ाई का ना होना,उच्च शिक्षा निदेशालय का निष्क्रिय होना प्राध्यापक की नियुक्ति का मामला,सहित झारखंड के प्रतियोगी परीक्षाओं में भोजपुरी अंगिका मगही उर्दू उड़िया बांग्ला को शामिल किए जाने पर सरकार की निंदा करते हुवे। वर्त्तमान सरकार को गैर झारखंडीयो की सरकार कहा और समस्त खोरठा भाषी और झारखंड के सभी जनजातीय क्षेत्रीय भाषाओं ,झारखंडी भाषा भासी के अगुआ,भाषा प्रेमियों से आह्वान किया कि झारखंड में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं पर अतिक्रमण के खिलाफ आंदोलन को तेज करना है।सरकार के नीतियों के विरोध में सड़कों में उतरने के लिए तैयार रहना होगा।
▪️परिषद अध्यक्ष डॉ बी.एन. ओहदार ने कहा कि *झारखंडी भाषा संस्कृति एवं झारखंडीयों के अस्तित्व को बचाने के लिए खोरठा दिवस को संकल्प दिवस के रूप में मनना होगा।* आने वाले साल हमें लगातार धारदार तरीके से झारखंड के अस्मिता अस्तित्व भाषा संस्कृति के खिलाफ में बनाई जा रही नीतियों के विरुद्ध मुखर होने की आवश्यकता है नहीं तो हम और हमारा अस्तित्व का नामोनिशान मिटने का खतरा बहुत नजदीक है।
▪️वहीं डॉ विनोद कुमार ने श्रीनिवास पानुरी की पंक्ति *आईज नाय कईल, हमर बात माने होतो गोड़े के कांटा मुहँ धर टाने होतो।* कहते हुवे कहा कि झारखंड में जो लीडरशिप का क्राइसिस है कमी है,और नीतियों में जो गड़बड़ियां है उसे सुधार करने के लिए कोई और हमारे बीच अवतार लेने वाला नहीं है, हम ही लोगों को संगठित होकर के खुद के प्रयास से इन चीजों को सुधार करना होगा आज के इस महत्वपूर्ण दिवस पर सब को बहुत बधाई और शुभकामनाएं देते हुए झारखंड के भाषा संस्कृति के विरुद्ध सरकार की नीतियों के विरोध में सब को एकजुट होने का आह्वान किया।
▪️कुमारी शशि ने खोरठा दिवस के मौके पर खोरठा के सभी क्षेत्रों पर महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को जागरूक करने संबंधी रास्ता सुझया शुभकामना संदेश प्रेषित किया तथा वर्तमान जेएसएससी सीजीएल में सिलेबस त्रुटि का विरोध हो रहा है बतौर जनजातीय क्षेत्रीय भाषा विभाग अध्यक्ष इस त्रुटि में सुधार करने संबधी सुझाव सरकार और संबंधित संस्था को अवगत करवाया जाएगा।
▪️प्रो0दिनेश कुमार "दिनमणि" ने पानूरी जीक् लिखे पंक्ति *नाच बंदर नाच रे मोर चाहे बांच रे ओकर खातिर दूध भात तोर खातिर गाछ रे*
का भाव समझाते हुए झारखंडीयों से कहा यह देखिए जो भाषा भाषाई और सांस्कृतिक एकता ने झारखंड अलग राज्य के पहचान दिलाई उन्हीं भाषाओं को कैसे दरकिनार किया जा रहा है! और जिन भाषाओं ने झारखंड अलग राज्य का विरोध किया झारखंड अलग राज्य के आंदोलन में एक स्लोगन तक भी नहीं है उन भाषाओं को कैसे सम्मान दिया जा रहा है और इसके लिए दोषी कौन हैं सारी बात और चीजों को समझने के लिए हमें एक बौद्धिक सांस्कृतिक जन जागरूकता अभियान को अगले कई सालों तक चलाना होगा इसमें अपने पुरखों की याद में इस तरह का दिवस मनाते हुए लोगों को एकजुट करने का प्रयास बेहतर साबित हो सकता है।
▪️डॉ गजाधर महतो"प्रभाकर" अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि झारखंड के साहित्यकारों को लेखकों को गीत कारों को पुस्तक प्रकाशन प्रकाशन संबंधी नियमावली ,कॉपीराइट ,पेटेंट राइट,पुस्तक प्रकाशन अनुदान जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों एवं गंभीर विषयों को रखा और इसे समाधान करने की दिशा में परिषद एवं अन्य संस्थाओं को एकजुट होकर के काम करने के सलाह मशवरा दिया।
▪️ओहदार अनाम खोरठा सहित झारखंड की झारखंडी भाषाएं से संबंधित रांची किसी भी कार्यक्रम इवेंट को आयोजित करने के लिए भरपूर सहयोग देने का भरोसा दिलाया।
इसके आलावे पूर्णकान्त कुमार सहित दर्जनों लोग ने समारोह को संबोधित किया।
▪️संयुक्त रूप से पानुरी जीक की तस्वीर पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित,दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया और अंत में पानुरी जीक् की जयंती को विशेष बनाने के लिए छात्रों एवं अतिथियों ने संयुक्त रुप से खुशियों को बांटने के लिए केक काटकर के एक दूसरे को खिलाया ।
▪️कार्यक्रम का सफल संचालन सुजीत कुमार राय धन्यवाद ज्ञापन उमेश कुमार/ विक्की कुमार ने किया इस मौके पर प्रीतिस, अनिकेत, प्रभात, गुड्डू,सुनील कुमार कश्यप, संदीप कुमार महतो, बसंत कुमार , राजेश अंग्रेज,समरेश कुमार महतो ,संजीत गंजु, अजय गझुं, बिपिन गझू , मंजू कुमारी, अनुज ठाकुर ,मनीष कुमार महतो ,महेंद्र नायक,बिट्टू ठाकुर ,आशीष कुमार महतो, कुंदन घाँसी,सोनामणि कुमारी, रविराज, अशोक कुमार,दिराज कुमार सहित सैकड़ों की संख्या में छात्र छात्राएं शिक्षक अध्यापक शामिल हुए।
सुजीत कुमार
सचिव
खोरठा साहित्य संस्कृति परिषद।
पुनः खोरठा दिवस पर बहुत बधाई ।
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