दुर्गा पहाड़
दुर्गा पहाड़ इ ढइर पुरान पहाड लागे इ पहाड टा झारखण्डेक राज्येक बोकारो जिलाक कसमार प्रखंडेक दुर्गापुर पंचायतेक भीतरे हे। इ पहाड टा कसमार से रोडे - रोडे पांच किलोमीटर दूर हवे पारे। दुर्गा पहाड टा एतना ऊंचा पहाड़ आस - पासे नखइ इ पहाड टा आबरी झारखंडेक एगो बेस पर्यटन ठांव मानल जाइ रहल हइ । काहे की पहाड टाक चाइरो बाटे गाछ - पात आर बेस - बेस मंदिर बइन रहल हइ। दुर्गा पहाड आसे - पासे ढइर पुरान चिज बसूतइक नमुना अभियो पावल जाहेक । दुगो कुवां आर एगो बांध तखनेक कोडवल लागइ। जे एखनो तक हइ। इटा से पता चलइ हइ कि हियांक इतिहास ढइर पुरना इतिहास लागेक। हियांक पढल - लिखल आर बूढा बुजुर्ग लोकवइन से पता चललइ कि हियां एगो राजा रहइ हलक जे हिया राज्य करइ हलक आर ऊ राजा टाक इतिहास 544 ई. पु. से 492 ई. पु. तक के मानल जा हइ। जखन मगधेक राज्येक एगो नामजइजका सासक हले जकर नाम हलइ बिंबिसार ऊ 52 बरस तक सासन करल हलक। ऊ एगो ढइर प्रतापी राजा हलक आर ऊ आपन राज्येक छेतर टा बढवेक खातिर तीन रकम नीति अपनवल हलक पहिला नियम बनवल हलक कि दोसर राजाक घरे बिहाक संबंध बनवेक आर दोसर नियम बनवलक कि आपन से बोड राजाक संगे दोसती करेक आर तेसर नियम बनवलक कि आपन से कमजोर राजाक हराइके आपन राज्येक मिलवेक । ऊ पहिला नीति टांय बिंबिसार ने ढइर राजाक बेटिक संगे बिहा करल आर ऊ आपन राज्ये मिलाइ लेलक एकर मध्य ऊ कौशल राज्येक राजा प्रसेनजीत के बहीन संगे बिहा करले आर ओकर देहज रूपे काशी प्रदेश मिल गेलक। जहाँ से 100000 सिक्के लगान मिलइ हलक एहे तरी ओकर पासे ढइर बहु रहहलथीन ओकर पासे लिचछवियां आर मद्र (मध्य पंजाब) के बेटियन के संगे बिहा करल हलइन । ऊ रजवाक एगो बेटा हलइ जकर नाव हलइ अजाद सतरू ऊ आपन बापाक राज्य टा हइथवेक खोजो हलइ । आर आपन बापाक राज्य टा हइथवेक खातिर जान माइर देलइ। आर जेते ओकर उत्तराधिकारी हलथीन सोभेक जान माइर देलइ। आर जे एग-दुगो बहुगुला बाचल हलथीन उसबोक मारेक उता - सुता करलेक हलक । मंतुक ओकर में एगो बहुटीक कइसे - कइसे पता लाइग गेलक कि अजातसतरू हामनियोक जान मारे ले खोजे लागल हेक। इटा सुइन के मंजुला नावेक रानी हुंवासे राइते आपन लव लसकर लइके राइते भाइग गेलिक आर भागते - भागते सतगावां होते करते कोवाकोल पहाडी के डहरे - डहरे गिरिडीह होते करते पारसनाथ पहाडी मे आय के आपन डेरा डाललथीन। ऊ आपन नानी घर जाए खोजहलीक मंतुक ऊ आपन विचार बदेल देली आर दछिन दिसा बाटे चइल देली आर फुसरोक डहरे होते करते चलकरी - अंगबालीक बोने - बोने चांदो होते करते मेंजरा गांव आए के दोसर डेरा बनइली। उधाइर अजादसतरू के पतालाइग गेलइ की मंजुला हिंया से आपन सेना लइक भाइग रहल ही ऊ कि करल उसब के पिछा करे खातिर सेनाक संगे एगो देवान के भेज देलक। ऊ देवान टा उसब के मेंजराक टांइडे आइके घेरलइन एखन इ टडियाक सफाई टांइड बइजकल जाहे। कहल जाहे कि अजादसतरू के सेनाक जत्था टा एहे टइडिये आइके रहल हलथीन आर हियें कइस के माइर काट झागरा भेल हलइ सइ खातिर इ जगह टाक कसमार बइजकल जाहे । मंजुला भोरले पांवे हली ऊ एगो जान बचवे खातिर बेस ठांव खोजते - खोजते एहे पहाडवा पहुंचलीक आर हियें करा ऊ आपन एगो स्थाई रहेक ठांव बनाइ लेलीक काहे कि हियां एकर नुकाइक खातिर बेस हलइ। मंजुला एगो दुर्गा मायं भक्तिन हलीक आर ओकर भक्तिक कारने ऊ लडाई जीत गेलीक आर हिंया ले ऊ नायं गेलीक हिंये रहइ गेलीक आर रसे - रसे आपन राज्य करे लागली फइलवे लागली रानी मंजुला एगो पुत्र के जनम देलइ ओकर नांव राखलइ दुर्गा एकरे नावं पर ई पहाडवाक नावं भेलइ दुर्गा पहाड़ आर गांव टाको नावं राखल गेलक दुर्गापुर बइजकल जाहे कि ई पहडवाक भीतरे रानी मंजुला ढइर सुरंग बनवल हली। आर रानी एगो बांधों कोडवल हलीक ओकर नाव रानी बांध देल गेल हलइ जे एखनो इ बांध टा हइ आर एगो कुवां टावों हइ।
रानीक चलवल परथा एखनो एगो चलते हइ हिंया लोक मनवइते हथ। कि हर बारह बछरे दुर्गा पहाडे एगो काडा आर एगो भेडा सोभे मिलके दुर्गा पहाडे काटइ हथ आर धुम - धाम से गोटे हियांक लोक मानवअहथ। बइजकल जाहे कि रामगढ़ राजा दुर्गापुर होते - करते बंगाल बराबइर आना गोना करइ हलक। एक बइर दुर्गा पूजाक समय हलइ रामगढ़ राजा आपन दिवान के आपन रानी खातिर सांडी आने ले भेजल हलइ तो ओहे डहरवें होते करते बंगाल गेलक जब उधाइर ले घुरे लागल तो उ सोचल कि तनी दुर्गा सिंह राजाक हिंया रूक लेबइ काहे कि उस समय टांय दुर्गा राजा बहूत बेस राइस लगवल हलक चाइरो बाटेक राजा पहुंचल हला। रामगढेक राजाक दिवानो उ दिन हियां ठहइर गेलक आर ओहो राइसे रंइग गेलक । दुर्गा राजा दिवान के पुछलइ कि इधाइर कहाँ ले आए रहल हे? रामगढ़ेक राजाक दिवान कहलथीन की रामगढ़ेक रानी लुगा आने गेलहली तो लइके जाए रहल ही इटा सुइन के दुर्गा राजाक मन भेलइ देखेक तो दुर्गा राजा रामगढ़ेक राजाक दिवाने कहलथीन की तनी सडिया देखवा तो। रामगढेक राजाक दिवान कहलथीन की ई साडिया कोकरो देखवेले नांय कहल हथीन । इटा कहल पर हूं दुर्गा राजा नायं मानलथीन आर देखे खातिर झुंडबरसाइ देलथीन आर कहलथीन की आनाने कि हतइ देख लबइ आर वइसने लेपइट के राइख देबइ।
राजाक जीद देख के दिवान एगो सलाई खोडी निकलवल आर ओहे सलाईक खोडी टांय साडी टा लेपटवल आर संइत के राखल हलइ। दुर्गाराजा ऊ सलाई खोडी टा आपन हाथे लेलक आर उ सलाइ खोडिया खोललक जइसे खोललक हुवां से एगो सुंदर बेस साडी बहरइलइ राजा उ साडियाक मन भइर के देखल आर लपइट के राखे खोजल मंतुक उ राजा उ तरी लपइट के नायं राखे पारल केतनो कोसीस करल उ वइसने दे दलइक। रामगढ़ेक राजाक दिवान के दइ देलइ। दिवान बिहान भेल बादे ऊ रामगढ़ आपन घोडा से पहुंचलक आर रामगढेक राजा के उ साडी टा देलई। रामगढेक राजा साडियाक मोडल टा दइख के ओकर अंखिया लाल भइ गेलक आर आपन दिवान के कहलइ कि अइसन कइसे भेलो उ दिवान गोटे बिरतांत बइजक देलइ । कि हामे दुर्गा सिंह राजाके हियां राती ठहरल हली तो राजा जिद कइर के साडिया देख लेलेक हामे नांय दे हली। रामगढ़ेक राजा ई बतिया सुइन के ढइर राइग गेलथीन आर कहलथीन की दुर्गा सिंह के एतना हिमत कि हामर रानीक साडी टा खोइल के देखत एतना बइजेक के ऊ आपन सेनापतिक आदेश करला की लड़ाई के तयारी करा आर हामीन फागुन पूर्णिमा के दिन अचकइ चढाई कइर देबई।
फागुन पूर्णिमा के दिन रामगढ़ेक राजा आपन सेनापति के आदेश करला की सेनापति सोब सेनाक लइके चाल उस दिन फागुन पूर्णिमा के दिन हलइ रामगढ़ेक राजा दुर्गा सिंह राजाक हियां चढाई कइर देलक । रामगढ़ेक राजा आगु - आगु आर ओकर सेना सोभे पिछु - पिछु आवे लागला । दुर्गा सिंह राजाक नांय पता हलइ कि रामगढेक राजा चढाई करे ले आवे लागल हे। ओकरा अचानक पता चललइ कि चढाई करेवाला हे। एतना सोचते - सोचते रामगढ़ेक राजा चढाई कइर देलथीन दुवो बाटे ले घमासान लडाई भेलई आर अंतिम मे दुर्गा राजा धराइ गेल आर मराइ गेला। आर दुर्गा राजाक रानी आपन इज्जत बचवे खातिर उ खुसकी डहर से बहाराइ के भाइग गेला आर एगो गढा दोह टायं झाप देइके आपन जान दइदेला। इ दह टा एखन हइ आर इ दह टाक रानी दह के नांव से बइजकल जाहे। इ दह टा दुर्गा पहाडेक धाइरे कुछु दुर बादे एगो टुंगरी हे। उ टुंगरी टाक नांव लागइ चेडिरिया टुंगरी ओकर हेटे इ रानी दह टा पवाइल जा हे। जे दिन फागुन पूर्णिमा ओहे दिन राजा आर रानीक जान गेलन आर सइ दिन होली हलेक ऊ दिन हियां दखेक दिन भइगेलक सइ खातिर हियांक लोक गुला होली नांय मनवला उस दिन मनवला। ओहे दिन से दुर्गापुरेक लोक होलीक परब नायं मनवहत इ परम परा टा चलते आइ रहल हे।
खोरठा लेखक - रोहित प्रसाद ठाकुर
पिता - राजेन्द्र हजाम माता - प्रमिला देवी ग्राम - मायापुर पोस्ट आफिस - दुर्गापुर थाना - कसमार जिला - बोकारो राज्य - झारखंड पिन कोड - 827302
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