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जितिया पुजा


कहल जाहे भारत एगो परब तिहारेक देस लागइ । जेकर में सभे समाज कर लोक पुजा पाठ कर हथ । हालांकि हिन्दु धरम में कुछो न कुछो परब पइत दिन हव हइ। जेकर में लोक ढेइर हुब - हुलासे मनवो हथ । ओकरे में जितिया परब बा पुजाव मेसाइल हे । जितिया बा जिउतिया पुजा में मांय सभे आपन छउवाक ढांगा उमइर खातिर करल जाहे । एकर में तीन दिन पुजा करल जाहे । संजत उपास आर पारना । 
वइसे एकर में एगो पारंपारिक मान्यता हे जदि संजत, उपासेक दिन जेकर घरे नावा जनम हवे , जेरम गाय धेनवाइ ,बा छउवा जनमे तबय ओकर घरे पुजा करेक सुरू करोहथ । आर जदि ई संजत, उपासे मोइर गेले पुजा खतम होय जाहे । बाकी लोक एकर पुजा पासा संजत उपास कइर सको हथ । 
संजत दिन - घारेक चिकन-चाकन कइर के अकरी थापो हथ । जे माटीक चाहे पीतरेक हाड़ी में बुट , कुरथी, मुंग बा बोरोय आरो-आरो । एगो खिरा बेटा राखाइल जाहे । एगो छोटो मोटो अकरी ओगरा राखाइल जाहे ।आर पेचकी पाते हाडी टाके ढापोहथीन। आर एक तनि धान सिन्दुर हाड़ी लागाइ दे हथ । आर बांध बा नदी नहाइले जा हथ । जहां नहाय के खिरा पात बा झिंगा पाते दतुन पानी आर तेल हरदी देहथ ई लगाइत तीन दिन तक चलइत रहे हे । ओकर बाद घार घुरी आइ के दही चुरा खा हथ । ओकर बादे दाइल भात खा हथ । 
उपास दिन - पुजा हवे हे जेकर में डाली टोकी साड़ी झुला करअइनी धान बिन बांधना सुपली टुपा । कतारी , केवा बोर बांस आम डोहरा बेलंजा हरतकी रहे जेकरा पुजा कर हथ । कतारीक पाते पुवा पकवान आर खिरा चाइट चे के टांगल बा लरकावल जाहे जेकरा पुजा भेल बादे ओकरा परसादी बुइझ के तोइड ले हथ । ई पुजा आपने भी कइर सको हथ बा पंडित से भी पुजा करवो हथ । 
पारना दिन - पुजा पाठेक सामन सब बांधे जाइ के बसांइ दे हथ । ओकर बाद घारे आइ के माटीक हाड़ी में अरवा चार के भात संगे पांच,सात,नउ ( बुट, कुरथी , पेचकी , पुइ साग, सारो कंदा, झिंगा ,गंधारी साग, कोहड़ा ) रकमेक तियन बनावे हे जेकरा परसादी कहल जाहे । ऊ परसादी भीतर घारे चापे हे सेटा आबगा बेटा छउवा ही खाय सको हथ । बाकी टा बेटी छउवा सब खा हथ । ई रकम मनवल जा हे जेकर घर पइरवार हुब हुलासे मनवो हथ । 
ई कथाक नाता गोता महाभारत से जुड़ल हइ। युद्ध में बापेक मोरल बाद अश्वत्थामा ढ़ेइर रागाइल हल । बापेक मोरलेक बदला लियेक खातिर पाण्डव कर सीवीर गेला आर ऊ पांच लोक के मोराय देल । ओकरा लागलय की हामे पाण्डव सब के माइर देल हिये मेंतुक पांडव जियंत हल । जखन पाण्डव ओकर पास आइला तखन ओकरा पता चलल की ऊ द्रौपदी के पांच बेटवइन के माइर आइल हे । ई गुला देइख के अर्जुने अश्वत्थामा के बंदी बनाय के ओकर दिव्य मनी के लुइट लेल । 
अश्वत्थामाञ ई बातेक बदला लियेक खातिर अभिमन्युक बहु उतरा कर पेटे पइल रहल छउवा के मारेक जोजना बनवे लागल । ऊ पेटे पइल रहल छउवा के मारेक खातिर ब्रम्हा असतर चलवल । जेकर से उतरा कर पेटेक छउवा मोइर गेल । मेंतुक ऊ छउवा के जनम लियेक ढेइर जरूरी हल । एहे खातिर भगवान कृष्ण उतराक मोरल छउवा के पेटे ही फेर से जीवित कइर देल । पेटे मोइर के जियंत हेल खातिर ई रकम उतरा कर बेटा कर नाम जीवित पुत्रिका पइड़ गेल । आर तखने से छउवाक बोड़ उमइर खातिर जितिया पुजा करे लागला।