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गणतंत्र दिवस पर पढ़े खोरठा की बेह्तरीन कविताएँ

गणतंत्र दिवस पर पढ़े खोरठा की बेह्तरीन कविताएँ 


1. देसेक संबिधान
डॉ. गजाधर महतो प्रभाकर 
 आजादिक बादे 1950 ई.
 लागु हेल देसं संबिधान
 एकर पूरल 75 साल
 मुदा ई 75 वाँ सालें
 गुंजल एगो सवाल
 कि खतरा में हे संबिधान!
 एकरा लाइ जाइन।
  राहुल गाँधी 
  हर चुनावी सभाञ
  कहल चेचाञ चेचाञ
  बचावा आपन संबिधान,  
  नाञ तो निकइल जातो जान।
 बदइल जातो नियम-कानून
 खाइले मिलतो नाञ नून।
 से ले चुना अइसन सरकार,
 जे बचावतो तोर अधिकार।  
  लोक सभा चुनावें 
  लागल रहे नारा
  अबकी बार -चार सौ पार,
  ई नारा हइ गेल बेकार
  बनल तो जरूर सरकार
  मुदा, अबरी हे बइसखीक सरकार।
  बदलत नाञ अधिकार,
  बचल हे संबिधान, 
बचल रहल संबिधान। 
  
2. संबिधान
डॉ. गजाधर महतो प्रभाकर 
आजादिक बादे 1950 साले 
लागु हेल संबिधान
ई साल पूरल पछहतर साल
गावा गौरव गान, गावा गौरव गान।
भारतेक संबिधान हे बिशाल
दुनियाय के हे ई एगो मिशाल, 
हमनीक संबिधान
हे बड़का महान।
करा एकर गुनगान
करा एकर सम्मान,
करा नाञ एकर अपमान,
ई देहे सबके समान अधिकार
एहे हामीन के बोले सिखावल,
सबके जीए सिखावल
एक पाँती आब बइस के खाही
एक संगे बइस के पढ़ो ही, 
बिकासेक दापइन चढ़ो ही, 
एकर बारे जतना कहब 
ऊ कम हे।
 आवा मिइलके तिरंगा फहरावा
 खुसीक गीत मिइलके गावा।
 तिरंगा कहियो झुके नाञ
 ई मिइल के खाही कसम
 हम ककरो से नाञ कम।।

3. 🇮🇳 हामर तिरंगा झंडा 
       ✍️ संजीत कुमार गंझू 
हामर तिरंगा देसेक तारा 
आकासे फहरइ तिरंगा झंडा 
हेंठे सभे जातिक लोक खडा
ई देसेक अलबत भाईचारा।

सोभिन गावहथ देसेक राष्ट्रगान 
जन गण मन कर धेयान 
हिंयाक बोलीभासा सुनइते सुहान 
तिरंगा झंडा देसेक सान।

वीर नीलांबर पीताम्बर तिलकामांझी 
केव धरय तीर कमान त केव टांगी 
भारत मांयेक रयिइखा खातिर 
आंदोलने मेसाला फूलोझानो लक्षमी बाई।

केव खइला गोली तो केकरो भेल फांसी 
रकत से रांगाइल हामर धुरामांटी 
कते सहिदेक घरे बुझगेल दियाबाती 
बलिदानेक खुइने बनल गणतंत्र साक्षी।

हियांक माटिक ओंढनांइ संसकीरति 
नान्हा धरमेक नान्हा जाति 
तिरंगा झंडाक रचिइहा कृति 
सोब मानुस से एहे नेहोर बिनति।

       
4. आवा फहरइबइ तिरंगा 
पुनीत साव
हमर आपन देसेक झंडा 
अकर तीन गो रंग 
केसरिया,चरक आर हरियर 
देसेक विविधता के संग

केसरिया बलिदानेक प्रतीक 
चरक रंग सच्चाई के 
हरियर रंग आपन धरती मांय के
देखेम लागे सोहान 

चोबीस गो हे अकराम तिली 
बढ़ते रहे आपन देस 
देस-दुनियायें नांव होवे 
अइसन आपन संदेस

हियाँ रहो हइथ मिइल-जुइल के साब
आपन देसें किसिम-किसिम के लोक 
हमनिक गणतंत्र सबसे बेस 
नाञ पहुँचवइ ककरो ठेस

5. जागा-जागा रे जुवान 
अधिवक्ता रंजीत प्रजापति (बडकी पुन्नू )
जागा-जागा रे जुवान 
हाथे धरी तिरंगा निसान
मिटे नांञ देबइ भारत कर मान
चाहे दिये भेतक आपन परान

जागा- जागा रे जुवान 
हाथे धरी तीर-कमान 
मेटाइ देबइ बेरी कर निसान 
बढाइ देबइ भारत कर मान 

बढाइ देबइ भारत कर मान
तोइर देबइ बइरी कर सान 
फर- फर फहरेबइ तिरंगा निसान 
जगाइ राखब आपन हिन्दुस्तान 

जागा- जागा रे जुवान 
चला जीबइ भारत सिमान 
माइर भगइबइ बइरी पाकिस्तान 
तबे भेतक भारत कर कलियान

6. देसेक जवान 
    ✍   गौतम कुमार महतो 
देसेक जवान हामिन 
आपन फरज निभावब रे 
तिरंगाक सममान करबय 
देसेक मान राखब रे।
दुसमन से लइड़ जिबय 
चाहे हामिन मइर - मिइट जिबय रे।
जिनगी कुरबान करबय रे 
आपन देस के खातिरे 
भारत देस के खातिरे।।

घार-दुवाइर छाइड़ के 
देसेक रकछा करे ले,
आइल हे हेमाइल पहाड़ी रे।
रहे सहेक ठेकान नाञ 
तावो कांधांय बंदूक टांगी के 
दुसमन के ताइक राखे हे 
राइत भइर जागी के।।

देसेक अपमान नाही सहब रे 
तिरंगा झंडा नाही झुके देबय रे।
ईंटाक जबाब हामीन 
पाखन से देबय रे।
कि जिनगी कुरबान करबय रे 
आपन देस के खातिरे 
भारत देस के खातिरे।।

7. हाम हिन्दुस्तान हकूं
गणतंत्र दिवस के बेरें 

राम किशुन सोनार 

हाम हिन्दुस्तान हकूं । हाम हिन्दुस्तान हकूं ।
        हलदिल जग सपना में बजिके,धरती के सान हकूं।            
 हाम हिन्दुस्तान हकूं ।हाम हिन्दुस्तान हकूं ।

हाम नाञ बइजकूं,बइजके हइ जग
   बइसल हूं मन,जन -जन,रग-रग
     कोइयो प्रेम से,कोइ अचरज से
      कोइयो कचट, लालच,धीरज से
      दुस्मन,हाइर-पाइर ,गरज से
 सबके समाधान हकूं,    
         हाम हिन्दुस्तान हकूं।हाम हिन्दुस्तान हकूं ।

चहल-पहल,हलचल,दिन, पल-पल 
      कोन,मांझ सगरो नित हलबल
    किसिम -किसिम के ढंग अर ढ़र्रा
        मउज,खुसी, मस्ती,गुलछर्रा$
भिनु बात के परब हियां पर
           सुख,चइन ,बिधान हकूं 
     हाम हिन्दुस्तान हकूं ।हाम हिन्दुस्तान हकूं ।

हरियर धरती,उमड़ल सागर
      रूप - रंग के कन-कन आगर
माल-असबाब से उचकल-उफरल 
 नदी, पहाड़,मइदानो पसरल
 संस्कृति, सभ्यता के मुरूत
 रतन के खान हकूं 
हाम हिन्दुस्तान हकूं।हाम हिन्दुस्तान हकूं ।

राम, कृष्ण, अल्लाह, गुरु नानक 
महाबीर,गौतम,ईशु,रग-रग
तन में ,मन में बास करे जे
मन्दिर -मस्जिद, गुरु , गिरिजा में 
पूजा,रोजा,दान,-पुन्न,जइग
   भक्ति के प्रान हकु
हाम हिन्दुस्तान हकूं।हाम हिन्दुस्तान हकूं ।

रामायण, कुरान सिखावइ
बाइबिल वो पुरान पढ़ावइ
साहेब, ग्रंथ महान बतावइ
बेद वो गीता ज्ञान सुनावइ
पर हितकारी, धर्म- अधारी
सच व ईमान हकूं 
हाम हिन्दुस्तान हकूं।हाम हिन्दुस्तान हकूं।

जहां हिमालय,हिन्द महासागर 
कांसी, अयोध्या, मथुरा,नागर
 पारसनाथ वो धाम का डेरा
नालन्दा, कश्मीर,एलोरा
गांधी, सुभाष, पटेल, विवेका-
नंद के प्रान हकूं 
   हाम हिन्दुस्तान हकूं।हाम हिन्दुस्तान हकूं ।

अपने में हूं,गद-गद,फुल-फुल
   नाञ ककरो से टुनमून,बतकुल 
बारहो मास रितु आवइ-जावइ
     मनभावन,मनमस्त बनावइ
प्रेम, श्रद्धा,दया,के सागर
  मित्र बिधान हकूं 
हाम हिन्दुस्तान हकूं।हाम हिन्दुस्तान हकूं ।

हाम नाञ छेड़ू,नाहीं सताऊं 
नाञ ककरो सें बइर चुकाऊं 
पर जे छेड़े,्बात नाञ बुझे
मोका देलो पर नाञ सुझे
वइसन थेथर,जाहिल के हाम 
कब्रिस्तान हकूं 
हाम हिन्दुस्तान हकूं।हाम हिन्दुस्तान हकूं ।

हाम हिन्दुस्तान हकूं,।हाम हिन्दुस्तान हकूं।
हलदिल जग सपना में बजिके 
धरती के सान हकूं 
 हाम हिन्दुस्तान हकूं। हाम हिन्दुस्तान हकूं ।

गीतकार : राम किशुन सोनार 
      सेवा निवृत्त शिक्षक, डुमरी