डॉ.कृष्णा गोप
डॉ. कृष्णा गोप
जन्मतिथि:- 09 अक्टूबर 1984
जन्मस्थान:-
हेसालौंग, डाडी,
हजारीबाग (झारखंड)
शिक्षा:-
एम.ए (मनोविज्ञान) 2008,
पीएचडी (2018) विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग (झारखंड)
शीघ्र प्रकाश्य:-
काव्य संग्रह (खोरठा भाषा में)
प्रकाशन:-
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में खोरठा कविताएं प्रकाशित हुए हैं जैसे "बोनेक दरद"एवं " माटिक लाज" शामिल हैं.
वरिष्ठ कथाकार कालेश्वर के कहानी संग्रह "मैं जीती हूँ" से 'कल्लू मियां की गाय' का खोरठा अनुवाद एवं पाठ(सोशल मीडिया में).
हिंदी में डॉ.लालदीप के काव्य संग्रह "गाँव के चौराहे पर " पुस्तक की समीक्षा "प्रभात खबर" के 'रवि रंग' में 'प्रकाशित है.
राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय, सेमिनार और कार्यशाला में भाग लेने के साथ-साथ विभिन्न शोध पत्रिकाओं में शोध आलेख प्रकाशित हैं.
सदस्य:-
अमेरिकन मनोवैज्ञानिक संघ(2021)
संस्थापक/अध्यक्ष:-
खोरठा डहर(झारखंड के क्षेत्रीय एवं जनजातीय कला,संस्कृति, भाषा एवं साहित्य की समृद्धि हेतु)
सचिव :-
जनकथाकार प्रेमचंद पुस्तकालय, हेसालौंग(झारखंड)
संरक्षक एवं खोजकर्ता:-
"लिखनी कोहबर"आदिम शैल कलाकृति हेसालौंग.
कार्य:-
स्वतंत्र शोधकर्ता(वर्तमान में को-पीआई के बतौर झारखंड केन्द्रीय विश्विद्यालय राँची के रिसर्च प्रोजेक्ट जो डॉ.रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान मोरहाबादी के सौजन्य से संचालित है 2020से2021तक)
सम्पर्क:-gopedrkrishna@gmail.com
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