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खोरठा छात्र संघर्ष मोर्चा के द्वारा बैठक की गई।


जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं से खिलवाड़ करना बंद करें : सरकार 
आज दिनांक 19 जून 2022 को खोरठा छात्र संघर्ष मोर्चा के द्वारा एक बैठक की गई। जिसमें राज्य के 510 प्लस टू स्कुलों में 3120 शिक्षकों  की नियुक्ति होगी । नियुक्ति के लिए अधियाचना झारखंड कर्मचारी चयन आयोग को भेज दी गई है इसमें कुल 11विषयों की सूची है , जिसमें जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विषयों को दरकिनार कर दी गई है । बैठक में कही गई की झारखंड अलग हुए 22 साल हो गये परंतु झारखंड की नौ भाषाओं को अभी तक संरक्षण और संवर्धन नहीं हो पाई है  और ना ही शैक्षणिक स्तर पर इसका  सही मापदंड मिल पाया है। जनजातीय - संथाली, कुडुख, मुण्डारी, हो तथा खड़िया और क्षेत्रीय ( मुलभाषा) - खोरठा, पंचपरगनिया, नागपुरी तथा कुरमाली है।  इन सभी भाषाओं की पठन-पाठन आठवां कक्षा से पीएच डी तक हो रही है । अभी तो डिलिट् उपाधि भी लेने लगे है । इन भाषा विषयों में साहित्य की हर विधा से परिपूर्ण हैं ।  इनका संरक्षण करना सरकार की नियति है । अब तक हाई स्कुल में नियुक्ती हो चुकी है और राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पठन-पाठन निरन्तर रूप से चल रही है । बिते दिन कई अखबारों में लगातार जारी हो रही है कि शिक्षा विभाग द्वारा कार्मिक विभाग को ग्यारह विषयों की नियुक्त हेतू अधियाचना भेजा गया । और बाकी विषय कहां गये, अभी तक क्यों नहीं हो पाई नियुक्ति। क्या कारण है । यह झारखण्ड की झारखंडी भाषाओं के साथ सौतेला व्यवहार कब तक चलेगा ।  इसे बंद करें और जल्द ही  जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं को पद सृजन कर नियुक्त करें । जिससे झारखण्ड की भाषा संस्कृति को गौरवान्वित महसूस होगी । अन्यथा विशाल आंदोलन होगी । इससे पहले भी कई बार नियुक्ति अथवा पद सृजन के लिए जगह-जगह पर आंदोलन चली ।  झारखण्ड  झारखण्डीयों की है। झारखंड कभी किसी के अधीन नहीं रहा हैं  और ना ही रहेगा ।  माय, माटी, मातृभाषा और संस्कृति इनकी बपौति सम्पति है । जिसका संरक्षण एवं संवर्धन करना जानता है । झारखंडी कभी किसी का गुलाम नही रह सकता है वो सदा स्वतंत्र और स्वच्छ ही रहना पसंद करता है । जब- जब इस पावन धरती में लोगों पर  शोषण, अत्याचार  और भ्रष्टाचार हुआ तब-तब भगवान बिरसा मुंडा और बिनोद बिहारी महतो का जन्म हुआ है । झारखण्ड नौ भाषा रूपी फूलों का एक सुंदर सा बगीचा है । इसे कतई छेड़ - छाड़ ना करें । मुख्यमन्त्री  जी से आग्रह है कि झारखण्ड की  भाषाओं को जल्द शामिल  करें अन्यथा झारखण्डीयों की माय, माटी, भाषा ख़त्म हो जाएगी , उसकी पहचान मिट जाएगी । इसे बचाये रखने की काम करें । बैठक में खोरठा छात्र संघर्ष मोर्चा के सदस्य मानिक कुमार, पंकज कुमार, मनु राम गुलियार, विकास करमाली, अशोक कुमार महतो, पिन्टु महतो, दिपक कुमार, रूपेश कुमार, राधेश्याम कुमार, संदीप कुमार महतो मौजूद रहें।