राँची के देव कुमार ने लिखी अनोखी पुस्तक "मैं हूँ झारखंड"
जर्मनी के शोध विद्वान डाँ0 नेत्रा ने दी शुभकामना
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राँची - मैं हूँ झारखंड पुस्तक में झारखंड के इतिहास, भूगोल, अर्थव्यवस्था, संवैधानिक प्रावधानों, सामाजिक व धार्मिक व्यवस्था, शिक्षा, कला-संस्कृति, खेलकूद, पर्यावरण सुरक्षा आदि से संबंधित हर सामान्य से लेकर विशिष्ट तथ्यों एवं जानकारियों को संकलित की गई है। वस्तुतः झारखंड राज्य में प्रचुर मात्रा में खनिज एवं प्राकृतिक संपदा पायी जाती हैं। यह राज्य पाषाण काल एवं इसके बाद तक विभिन्न शासनकाल यथा मौर्य, मुगल एवं ब्रिटिश के अधीन था। अतः इसका राजनीतिक इतिहास भी काफी जटिल है। मुझे बेहद खुशी है कि देव कुमार जी ने इन सारी जटिल जानकारियों का इस पुस्तक में सरल तरीके से प्रस्तुतिकरण किया है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस तरह का कार्य झारखंड एवं इसके पहलुओं को पढने वाले पाठकों हेतु अत्यंत ही लाभदायक सिद्ध होगा। देव कुमार जी ने कुछ ही वर्ष पहले अनोखा त्रिभाषी शब्दकोश का रचना कर हम सभी को आश्चर्यचकित किया था, जो बिरहोर जनजाति के बच्चों के मातृभाषा सीखने हेतु ही नहीं अपितु गंभीर खतरे की भाषा की सामान्य बोलचाल में प्रयुक्त होने वाले शब्दों को भाषाविदों को समझने में समान रूप से उपयोगी है। मेरे द्वारा स्वयं इस शब्दकोश के शब्दों का प्रयोग दूसरी भाषाओं से तुलनात्मक अध्ययन में किया गया है। अब वह अपनी नई कृति "मैं हूँ झारखंड" द्वारा झारखंड राज्य की संपूर्ण जानकारी के साथ प्रस्तुत हैं। मैं इस पुस्तक को तैयार करने में उनके लगन एवं परिश्रम से आश्चर्यचकित हूँ। मुझे पूर्ण विश्वास है कि एक ही बार में झारखंड को समझने हेतु यह पुस्तक बेहद लाभदायक सिद्ध होगी। मैं देव कुमार जी की इस उपलब्धि हेतु बधाई देते हुए उज्ज्वल भविष्य की शुभकामना देता हूँ।
*आखिर कौन हैं डाॅ0 नेत्रा पी पौडयाल*
खोरठा के चर्चित साहित्यकार और प्राध्यापक दिनेश कुमार दिनमणि ने बताया कि डाॅ0 पौडयाल, कील विश्वविद्यालय, जर्मनी में भाषा विज्ञान के विश्वविद्यालय प्राध्यापक होने के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध विद्वान हैं। ये झारखंड के प्रजातिक, सांस्कृतिक व भाषायी वैविध्य और इसकी जटिलताओं से काफी प्रभावित हैं और झारखंड की सदानी भाषाओं के तीन सदस्यों खोरठा, कुड़मालि और पंचपरगनिया पर अंतरराष्ट्रीय मानक पद्धति से अत्यंत गहन शोध अध्ययन में जुटे हैं। अपने अध्ययन से इन्होंने उक्त झारखंडी भाषाओं को विश्व पटल पर परिचय कराया है। गर्व की बात है कि उन्होंने झारखंड के विशिष्ट सोच और सामर्थ्य के ऊर्जावान युवा देव कुमार की दूसरी कृति 'मैं हूँ झारखण्ड' पुस्तक पर अपनी शुभकामनाएं दी हैं। जो इस पुस्तक की गुणवत्ता और झारखंड विषयक व्यवस्थित अभिसूचनाओं के संदर्भ में इसकी महत्ता को रेखांकित करती हैं तथा इस बात की द्योतक है कि निश्चय ही यह पुस्तक पठनीय और संग्रहणीय है। एक झारखंडी युवा प्रतिभा के उत्साहवर्धन के इस अनुग्रह हेतु डॉ नेत्रा पी पौडयाल जी को एक झारखंडी होने के नाते मैं धन्यवाद ज्ञापित करता हूं। चर्चित खोरठा गीतकार विनय तिवारी ने कहा कि यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि जिस अंतरराष्ट्रीय विद्वान के साथ झारखंड की भाषा-संस्कृति पर कार्य करने का सुअवसर मिला था, उन्होंने देव कुमार जी को उनकी कृति मैं हूँ झारखण्ड पुस्तक हेतु शुभकामना दी है। वाकई इस पुस्तक की प्रामाणिकता होने के कारण ही दिनप्रतिदिन इसकी लोकप्रियता बढती जा रही है।

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