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खोरठा भाषा के कवि व गीतकार रामकिशुन सोनार को "जयशंकर प्रसाद स्मृति सम्मान" से सम्मानित किया गया।


 दिनांक ३०/०१/२०२४ को शहीद चौक रांची में स्थित सेमिनार भवन, टेलीफोन भवन बी०एस०एन०एल०  में जय शंकर प्रसाद बिचार मंच द्वारा अष्टम,  भाषा , साहित्य  व कला से सम्बन्धित जयशंकर प्रसाद स्मृति सम्मान समारोह२०२४ का आयोजन किया गया जिसमें , हिन्दी,खोरठा आदि क्षेत्रीय भाषा एवं नाट्य कला संस्कृति के सात कवि, गीतकार, साहित्यकार व कलाकारो को सम्मानित किया गया जिसमें मुझे ( राम किशुन सोनारको )भी  खोरठा भाषा के कवि एवं गीतकार के रूप में सम्मान प्राप्ति का सौभाग्य प्राप्त हुआ।इस सम्मान में  मंच द्वारा प्रसारित परिचय, विवरण व प्रशस्ति के साथ स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र,अंग वस्त्र, डायरी,जय शंकर प्रसाद जी से सम्बन्धित पुस्तक आदि उपहार प्रदान कर साहित्य एवं कला का सम्मान किया गया ।इस मंच में  पानुरी जयन्ति के शुभ अवसर पर दिनांक २५/१२/२०२४ को साहित्यिक एवं सांस्कृतिक परिषद, रामगढ़ द्वारा बिमोचित मेरी तीन पुस्तकें १-रीझरंग,-२रसेक धार३-परास फूल की भी  चर्चा की गई । ज्ञातव्य हो  इन तीनों पुस्तकों में ४९-४९कविताएं हैं जो प्रायः गीत हीं हैं, जिन्हें प्रायः सुर और ताल में बांध कर लिखा गया है जिसे लगभग काव्यों को आसानी से गाया, बजाया जा सकता है।इन रचनाओं में प्रायः विधाओ व रसों यथा भक्ति, श्रृंगार, हास्य -व्यंग्य, प्रकृति चित्रण,देश प्रेम, ध्वजा की पुकार,पर्व त्योहार, ऋतु वर्णन,प्रदूषण,कोरोना,छुवा-छूत,अशिक्षा,नारी शोषण, नारीशिक्षा, बलात्कार, महंगाई, अकाल,जंगल उजाड़, आजादी का दुरूपयोग आदि सन्दर्भों को दर्शाया गया है ।
              इस मंच  का संचालन परम विदुषी  डा० श्री मती शकुन्तला मिश्रा द्वारा शानदार प्रस्तुति पूर्वक किया गया ।
इस मंच के विशिष्ट अतिथि पद्मश्री मुकुन्द नायक, पद्मश्री मधु मंसुरी हंसमुख, डा०अशोक प्रियदर्शी, डॉ माया प्रसाद, डॉ०कमल बोस,डां०अरूण कुमार, पंकज मित्र, डॉ मयंक मुरारी  सब थे।
            सम्मान समारोह के बाद सभा महाकवि जय शंकर प्रसादजी के सम्मान में  एक प्रशस्त कवि गोष्ठी के रूप में परिणत हो  गया ।‌ जिसमें हिन्दी  के प्रखर  विद्वान व विदुषियों ने अपनी कविताओं से  मंत्र मुग्ध कर सभा में सत्प्राण भर दिया ।इस गोष्ठी में मुझे (राम किशुन  सोनार)भी दो कविताएं प्रस्तुत करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । इस मंच के संचालक डां  शकुन्तला मिश्रा जी ने सभा में समय -समय पर अपने साहित्यिक जानदार व शानदार वक्तव्यों से सभा को सम्हाले व बांधे रखे ।