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यू.जी.सी. मदन मोहन मालवीय शिक्षा प्रशिक्षण महाविद्यालय में "गुरुदक्षता" 20वीं फैकल्टी इंडक्शन कार्यक्रम आज भी सफलतापूर्वक जारी

                      आज दिनांक- 30/01/2024(मंगलवार) को यू.जी.सी. द्वारा प्रायोजित 20वीं फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम "गुरुदक्षता" मदन मोहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में हिंदी विभाग रांची विश्वविद्यालय की सहायक प्राध्यापिका सह कोर्स कॉर्डिनेटर डॉ. सुनीता कुमारी के नेतृत्व एवं देखरेख में आज भी सफलतापूर्वक जारी रहा । उन्होंने आज कार्यक्रम की शुरूआत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए किया गया । उन्होंने सत्य की राह पर चलने की सलाह दी । 
आज प्रथम सत्र में रसायनशास्त्र विभाग, रांची विश्वविद्यालय, रांची की डॉ. स्मृति सिंह ने "नेशनल एजुकेशन पॉलिसी" विषय पर अपना व्याख्यान दिया । उन्होंने इसके महत्व और लाने के कारणों के बारे विस्तार से बताया । शोध सतत विकास में कितना उपयोगी है उसपर ध्यान दिया गया । उन्होंने सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के 17 गोल के बारे भी बताया । उन्होंने बताया आज डिग्री के साथ कम से कम एक वोकेशनल कोर्स की शिक्षा दी जाने की बात बतलाई ताकि कोई भी छात्र आत्मनिर्भर बन सके ।
द्वितीय सत्र में एन.सी.आर.टी.,दिल्ली की डॉ. निधि सिंह द्वारा "ई-कंटेंट का विकास" विषय पर व्याख्यान दिया गया । उन्होंने पी.पी.टी. प्रेजेंटेंशन द्वारा ई-कंटेंट बनाने के तरीके बतलाई । उन्होंने Canva, Open shot एवं Audosity के प्रयोग के तरीके बतलाए गए । उन्होंने बतलाया इनके प्रयोग से विषय को रोचक बनाया जा सकता है ।
तृतीय सत्र में करोड़ीमल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. सत्येंद्र कुमार ने "शैक्षणिक निष्ठा" विषय पर व्याख्यान दिया । उन्होंने सभी कार्य ईमानदारी पूर्वक करने की बात बतलाई । साहित्यिक चोरी से बचने की सलाह दी गई ।
चतुर्थ सत्र में हिंदी विभाग, रांची विश्वविद्यालय के डॉ. अरुण कुमार सज्जन द्वारा "शोध, व्यवसायिक विकास और शैक्षिक नेतृत्व" विषय पर व्याख्यान दिया गया । उन्होंने बताया परिस्थितियों के बदलने के कारण शोध की आवश्यकता होती है ।
उन्होंने शोध को अनोखी प्रक्रिया है, वो ज्ञान के प्रकाश और प्रसार में सहायक होता है । शोध समाज के लिए उपयोगी होना चाहिए । इस प्रक्रिया में नवीन ज्ञान की वृद्धि की जाती है v।शोध कदाचित सिर्फ कागजात नही है । यह एक खोज है और अन्वेषण है । शोध समाज और देश के हित में होना चाहिए । उन्होंने शिक्षक को एक नेता का रूप बतलाया जो नेतृत्व प्रदान करता है और छात्रों को नेतृत्व प्रदान की शिक्षा देते हैं । उनमें बलिदान और त्याग की भावना होना चाहिए । उसे हर जगह शिक्षक बनकर रहना चाहिए । संस्कारपूर्ण नेतृत्व प्रदान कर विकास की ओर ले जाने वाला होता है । शिक्षक नकारात्मकता को सकारात्मकता में परिवर्तन करने वाला होता है । विद्वानों ने प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का सही उत्तर और सलाह भी दिया ।
आज विद्वानों का धन्यवाद क्रमशः डॉ. भीतिका राय, डॉ. श्याम बाबू और डॉ. सावन कुमार द्वारा दिया गया । सभी ने उनके द्वारा दिए गए ज्ञान के प्रति धन्यवाद दिया । 
आज के ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ. रंजीत कुमार सिंह, डॉ. अवध बिहारी महतो, डॉ. मृदुला खेस, डॉ. शुभ्रा सारस्वत, डॉ. सीमा सिंह, डॉ. अजय प्रताप सिंह, प्रो. श्रीमती कुमारी शशि, डॉ. अजय रविदास, डॉ. अनजान डेका, डॉ. श्याम बाबू, डॉ. मोहन प्रसाद वर्मा, श्रीमती प्रतिमा सिंहा, डॉ. किरण कुल्लू, डॉ. मृदुल्ला खेस, डॉ. अंजली कुसुम ओम, डॉ. अर्चना कुंतल, डॉ. अशोक सिंह, श्रीमती भीतिका राय, डॉ. हीरामणि गोस्वामी, डॉ. सावन कुमार, डॉ. सुजाता गुप्ता, श्रीमती तम्मन्ना परवीन, डॉ. वी. वैलो, डॉ. अजय कुमार सिंह, डॉ. अनिरुद्ध चंद्र बसु, डॉ. सीमा सिन्हा, डॉ. ममता साई, डॉ. किरण कुल्लू, डॉ. प्रशांता दास, डॉ. विकास रंजन, डॉ. ऋतु घांसी, डॉ. अरविंद कुमार, डॉ. निधि गांधी बेहल, डॉ. जुबिन चंद्र राय, डॉ. अजय रविदास, श्री संजय कुमार, डॉ. शशिकांता भगत, श्रीमती सुचिंता कुमारी, श्रीमती अर्चना कुंतल, श्रीमती शशिकांता भगत, श्रीमती बबीता कुमारी, श्रीमती सराबनी हेमरोम, सुश्री फरजाना नईम एवं सुश्री भीतिका राय के साथ सारे प्रतिभागी उपस्थित हुए ।
सधन्यवाद !!

विश्वासभाजन 
डॉ. सुनीता कुमारी
सहायक प्राध्यापिका, हिंदी विभाग, रांची विश्वविद्यालय सह
कोर्स कोऑर्डिनेटर,
"गुरुदक्षता" 20वीं संकाय दीक्षा कार्यक्रम,
मदनमोहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, रांची विश्वविद्यालय, रांची, झारखंड ।