आज प्रथम सत्र में प्रधान संपादक श्रेयशी मिश्रा द्वारा "संवैधानिक मूल्य और मानवाधिकार ; महिलाओं और अन्य कमजोर वर्ग के संदर्भ में" विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया गया ।
उन्होंने प्राचीन काल से लेकर वर्तमान काल तक महिलाओं और कमजोर वर्ग की स्थिति के बारे विस्तार से बतलाया । उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ भारतीय संविधान में दिए उनके सुरक्षा की धाराओं को भी बतलाया गया ।
उन्होंने राजा राम मोहन राय के स्त्री सशक्तिकरण के लिए किए गए कार्यों को भी बतलाया । उन्होंने कैसे सती प्रथा को समाप्त करवाया । भारतीय संविधान में किए गए प्रावधानों के बारे भी बतलाया । उन्होंने मानवाधिकार और मौलिक अधिकार के बारे भी विस्तार से बताया । झारखंड में मानवाधिकार के प्रति किए गए कार्यों की भी चर्चा की । उन्होंने कहा संविधान का पालन करना हर नागरिक का कर्तव्य है । उन्होंने विश्व में महिलाओं की स्थिति की भी चर्चा की । उन्होंने कहा कि हमें महिलाओं को सिर्फ घर के कामकाज तक ही न रखकर उन्हें पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि हर नारी हमारे राष्ट्र को विकसित बनाने में बराबर योगदान दे सकें ।
द्वितीय सत्र में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. सुरेश प्रसाद सिंह द्वारा "सतत विकास के उद्देश्य/लक्ष्य" विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया गया । उन्होंने शिक्षक को सर्वोपरि बतलाया क्योंकि शिक्षक ही देश-दुनिया को आगे ले जाने का कार्य करता है और सुयोग्य छात्रों को गढ़ने का कार्य करता है । उन्होंने एम.डी.जी. से एस.डी.जी. तक के सफर को भी बतलाया । उन्होंने यू.जी.सी. की भूमिका सतत विकास के लिए किस प्रकार है उसे भी बतलाया । उन्होंने पर्यावरण को हर हाल में दूषित होने से बचाने के लिए आवश्यक उपायों के बारे बतलाया । उन्होंने बतलाया कि मानवीय मूल्य नहीं छोड़ना चाहिए । घमंड नहीं करना चाहिए की हम तो विकसित हैं और संसाधनों से परिपूर्ण हैं ।
हमेशा क्षमाशील बनना चाहिए । उन्होंने कृषि, ग्लोबल वार्मिंग, पानी के रखरखाव और बचाव एवं बायोडायवर्सिटी के महत्व एवं हानियों के बारे भी बतलाया । उन्होंने पृथ्वी की उत्पति और ओजोन क्षरण के बारे भी बतलाया ।
तृतीय सत्र में रांची विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संकायाध्यक्ष और प्राध्यापक डॉ. राजकुमार शर्मा ने "उच्चतर शिक्षा में शैक्षणिक निष्ठा" विषय पर व्याख्यान दिया । उन्होंने शिक्षक, शोधार्थी और छात्रों को ईमानदारी पूर्वक अपने-अपने कार्य कर रही है ।
उन्होंने पांच तरह की निष्ठा बतलाई गई । ईमानदारी, विश्वास, निष्पक्षता, सम्मान और उत्तरदायित्व को महत्वपूर्ण भूमिका बतलाई गई । उन्होंने कॉपी राईट एवं पेटेंट के बारे भी बतलाया । "गीता" में बतलाए गए "ज्ञान ही महान शोधक" है की बातें बतलाई । "अर्थशास्त्र" के "तंत्रयुक्ति" की व्यवस्था के बारे भी बतलाया गया । उन्होंने वाद, ज्ञाल्प और वितंडा की भी चर्चा की । उन्होंने बताया कि हमारी संस्कृति तप, ज्ञान, त्याग और विश्वकल्याण की चर्चा करता है इसलिए यहां चार्वाक दर्शन नहीं चल पाया । उन्होंने कहा आप सब ईमानदारी पूर्वक कार्य करें और कोई गलत करे तो उसका विरोध भी करें ताकि हम अच्छी शिक्षा देते हुए समाज को उच्च स्तर तक ले जा सकें ।
धन्यवाद ज्ञापन क्रमशः डॉ. अजय रविदास, श्री संजय कुमार और डॉ. शशिकांता भगत द्वारा किया गया । उनके द्वारा दिए गए उपयोगी ज्ञान के प्रति आभार व्यक्त किया गया ।
चौथे सत्र में डॉ. अजय प्रताप सिंह, डॉ. रंजीत कुमार सिंह एवं श्रीमती अर्चना कुंतल के द्वारा अपन-अपने विषय पर सूक्ष्म अध्यापन प्रस्तुत किया गया जिसका, संचालन डॉ. अनजान डेका द्वारा किया गया ।
कार्यक्रम की समन्विका डॉ. सुनीता कुमारी द्वारा बतलाया गया कि विद्वानों के बताए रास्ते में हमें चलना है और सबको साथ लेकर ईमानदारी पूर्ण कार्य करते हुए पर्यावरण को भी बचाना है और शिक्षा भी देना है ।
आज के ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ. अवध बिहारी महतो, डॉ. मृदुला खेस, डॉ. शुभ्रा सारस्वत, डॉ. सीमा सिंह, प्रो. श्रीमती कुमारी शशि, डॉ. अजय रविदास, डॉ. श्याम बाबू, डॉ. मोहन प्रसाद वर्मा, श्रीमती प्रतिमा सिंहा, डॉ. किरण कुल्लू, डॉ. मृदुल्ला खेस, डॉ. अंजली कुसुम ओम, डॉ. अर्चना कुंतल, डॉ. अशोक सिंह, श्रीमती भीतिका राय, डॉ. हीरामणि गोस्वामी, डॉ. सावन कुमार, डॉ. सुजाता गुप्ता, श्रीमती तम्मन्ना परवीन, डॉ. वी. वैलो, डॉ. अजय कुमार सिंह, डॉ. अनिरुद्ध चंद्र बसु, डॉ. सीमा सिन्हा, डॉ. ममता साई, डॉ. किरण कुल्लू, डॉ. प्रशांता दास, डॉ. विकास रंजन, डॉ. ऋतु घांसी, डॉ. अरविंद कुमार, डॉ. निधि गांधी बेहल, डॉ. जुबिन चंद्र राय, श्रीमती सुचिंता कुमारी, श्रीमती शशिकांता भगत, श्रीमती बबीता कुमारी, श्रीमती सराबनी हेमरोम, सुश्री फरजाना नईम एवं सुश्री भीतिका राय के साथ सारे प्रतिभागी उपस्थित हुए ।
विश्वासभाजन
डॉ. सुनीता कुमारी
सहायक प्राध्यापिका, हिंदी विभाग, रांची विश्वविद्यालय सह
कोर्स कोऑर्डिनेटर,
"गुरुदक्षता" 20वीं संकाय दीक्षा कार्यक्रम,
मदनमोहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, रांची विश्वविद्यालय, रांची, झारखंड ।
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