बगोदर में खोरठा भाषा साहित्य के स्तंभकार शिवनाथ प्रमाणिक के असामयिक निधन पर खोरठा जन भाषा केंद्र में शोक सह श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। शोक श्रद्धांजलि सभा की शुरुआत उनकी आत्मा की शांति के लिए एक मिनट का मौन रखकर किया गया। तत्पश्चात खोरठप्रेमियों द्वारा उनके तस्वीर के समक्ष कैंडल जलाकर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि शिवनाथ प्रमाणिक खोरठा भाषा के प्रयोगधर्मी एवम हुबगर कवि थे।अपनी माय कोरवा भाषा खोरठा के विकास के लिए प्रमाणिक दा खोरठा साहित्य संस्कृत परिषद का गठन किया। उनकी पहली काव्य खंड 1986 में *दामुदरेक कोरा* खोरठा भाषा भाषी के लोगों के लिए मिल का पत्थर साबित हुआ।इनके संपादन में 1986 में *रुसल पुटुस* नामक कविता संग्रह प्रकाशित हुआ। *तातल और हेमाल* नामक पुटकर कविता संग्रह 1998में प्रकाशित हुआ।
*चल डहरें चल रे
डहर बनाई चल रे
जिनगिक डहरें कांटा
कांटा उखाइर चल रे।
उपरोक्त पंक्ति के रचनाकार प्रमाणिक जी *माय माटी मानुष आर मातृभाषा के विकास के लिए आजीवन लगे रहे । उनका असमय हम लोगों के बीच से जाना खोरठा भाषा संस्कृति और पहचान के लिए अपूरणीय क्षति है।
शोक श्रद्धांजलि सभा मे मुख्य रूप से शिक्षक रमेश कुमार,राजेश रविदास,प्रो सुधीर कुमार,प्रो बासुदेव महतो,प्रो इंद्रदेव प्रसाद,भगीरथ महतो,मनोज महतो,जितेंद्र महतो,लालमोहन महतो,लखन पासवान,विवेक मंडल समेत अन्य उपस्थित रहे।कार्यक्रम का संचालन प्रो हेमलाल महतो ने किया।
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