आज मारवाड़ी महाविद्यालय, रांची के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग द्वारा "पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा जयंती" कार्यक्रम मनाया गया ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार थे । कार्यक्रम की शुरूआत डॉ. मनोज कुमार के द्वारा पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर किया गया । माल्यार्पण के पश्चात मुख्य अतिथि के साथ उपस्थित सारे सहायक प्राध्यापक/प्राध्यापिका एवं छात्र- छात्राओं द्वारा पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर याद किया गया । कार्यक्रम का संचालन मुंडारी भाषा के सहायक प्राध्यापक डॉ. खातिर हेमरोम द्वारा किया गया ।
मुख्य अतिथि का स्वागत जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग, के विभागाध्यक्ष श्रीमती महामनी कुमारी द्वारा सम्मान स्वरूप झारखंडी संस्कृति सॉल ओढ़ाकर स्वागत किया गया ।
अपने संबोधन में मुख्य अतिथि डॉ. मनोज कुमार पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा को याद करते हुए बतलाया गया कि पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा ऐसी महान हस्ती थे जिन्होंने शिक्षा और संस्कृति दोनों के लिए कार्य किया । आज अगर देश उन्हें याद करता है तो हम सबको गर्व महशूश होता है कि हमारे बीच के शिक्षाविद और संस्कृति प्रेमी ने राष्ट्र ही नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर पर हमारी पहचान को रखने में सफलता पाई । उन्होंने सांस्कृतिक एकता पर बल दिया था और सबको अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति प्रेम करने की शिक्षा विश्वपटल पर रखा था । उन्होंने सांस्कृतिक तारतम्यता पर जोर देकर विभिन्न संस्कृति को जोड़ने का सफल प्रयास किया । हमें अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व करनी चाहिए और इसे आगे ले जाने के लिए हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए ।
आज के कार्यक्रम में प्रोफेसर इंचार्ज डॉ. आर.आर. शर्मा द्वारा पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा के मंच में सामूहिक नृत्य किए जाने और उनके द्वारा नगाड़े बजाने की अभूतपूर्व दृश्य को याद करते हुए सबके सामने रखा गया । पूर्व विभागाध्यक्ष मेजर डॉ. माहेश्वर शारंगी द्वारा उनके वाककुशलता एवं भाषा के प्रति समर्पण को सबके सामने रखा गया । वाणिज्य के सहायक प्राध्यापक डॉ. अंकित कुमार द्वारा पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा की जयंती मनाने को महाविद्यालय का गौरव बतलाया गया और ऐसे महान विभूतियों की जीवनी का अध्ययन करने की सलाह दी गई ।
खोरठा भाषा के सहायक प्राध्यापक डॉ. अवध बिहारी महतो द्वारा पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा जैसे गुरु और अभिभावक का मिलना हमारे विश्वविद्यालय ही नहीं हमारा सौभाग्य है । उनके विदेश-प्रवास के दौरान भी अपनी भाषा और संस्कृति से जुड़ा रहना उनकी अद्भुत क्षमता की पहचान थी । विदेशी भाषा के जानकर रहते हुए भी अपने लोगों से अपनी भाषा में बात करना उनका बड्डपन था और भाषा संस्कृति के प्रति प्रेम-भाव ही था । उनमें कभी बड़े पद पर रहने का अभिमान न हुआ । सभी लोगों के साथ मिलकर रहते हुए सबको अपनी भाषा एवं संस्कृति के लिए कार्य करने की शिक्षा देना उनकी जीवनचर्या रहा था । उनके बताए रस्ते पर चलकर हम अपने भाषा एवं संस्कृति के माध्यम से जीवन का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं ।
कार्यक्रम का समापन विभागाध्यक्ष श्रीमती महामनी कुमारी के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया । उन्होंने भी संस्कृति रूपी जड़ को मजबूत करने की बात स्वीकारी गई । जड़ मजबूत होगा तभी पेड़ मजबूत होगा । संस्कृति मजबूत होगी तभी हम मजबूत होंगे । उन्होंने उपस्थित सभी लोगों को धन्यवाद दिया और आभार प्रकट किया ।
आज के कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ. अमित कुमार, सहायक प्राध्यापक(खोरठा), डॉ. अशोक कुमार, सहायक प्राध्यापक(कुड़माली), श्रीमती सुमंती तिर्की, सहायक प्राध्यापिका(कुरुख),श्रीमती संगीता तिग्गा,सहायक प्राध्यापक(नागपुरी), डॉ. कृष्णकांत,सहायक प्राध्यापक(वाणिज्य) के साथ छात्र-छात्राएं उपस्थित थे ।
Social Plugin