आज दिन रविवार को जैनामोड़ स्थित नवयुवक कला मंच में खोरठा भाषा के संरक्षण और विकास के लिए खोरठा के विभिन्न साहित्यकार, लोक कलाकार, लोकगायक, खोरठा प्रेमी और विद्वानों का महाजुटान हुआ। इन साहित्यकारों और लोक कलाकारों ने खोरठा भाषा के विकास हेतु कई दशकों तक संघर्ष किया और खोरठा को विश्वविद्यालय तक पहुंचाकर झारखंड की द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिलवाया। वर्तमान में झारखंड राज्य में इस भाषा को बोलने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है।राजनीतिकरण और जातीयकरण के कारण इस भाषा को उचित पहचान नहीं मिल पाया।यह परिस्थिति झारखंड के लिए अभिशाप है। झारखंड के सबसे बड़े क्षेत्र की लोकभाषा खोरठा, जिसका साहित्य भंडार सबसे समृद्ध है, उसके उचित मान-सम्मान के लिए कार्यक्रम के संयोजक श्री जीवन जगन्नाथ जी ने विभिन्न विद्वानों, साहित्यकारों, कलाकारों , समाज सेवकों से अपने-अपने बहुमूल्य विचार रखने का आग्रह किए। सभी विद्वान, साहित्यकार कलाकारों ने अपने-अपने विचार दिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हैं खोरठा साहित्यकार श्री पंचम महतो जी ने कहा कि खोरठा साहित्यकारों की स्थिति काफी दयनीय होने के बावजूद भी निरंतर खोरठा साहित्य के विकास में निस्वार्थ भाव से अपनी सेवा दे रहे है। इन साहित्यों का जन-जन तक पहुंच होने से ही लोग अपनी खोरठा भाषा के महत्व और पहचान को समझ पाएंगें। इस भव्य कार्यक्रम में प्रमुख रूप से खोरठा साहित्यकार श्री पंचम महतो, डाॅ० नागेंद्र महतो, श्री बासु बिहारी, खोरठा पत्रिका 'लुआठी' के संपादक श्री गिरधारी गोस्वामी "आकाश खूंटी", श्री शंकर गोस्वामी, श्री मणिलाल 'मणि', राजु प्रजापति 'त्रिवेणी', कलाकार लोक गायक श्री प्रदीप कुमार 'दीपक', श्री श्याम सुंदर केवट 'चित्रकार', श्री विनोद कुमार, समाज सेवक डाॅ० पूर्णेन्दु गोस्वामी, उमेश कुमार तुरी, फारूक अंसारी, मो० नसीम अंसारी, अंबुज महतो, पारसनाथ महतो, मदन मोहन महतो, रमेश महतो, महादेव महतो ,प्रवीण कुमार, सूरज लाल दास , बिपलब सिंह, पत्रकार विपिन मुखर्जी, यशवंत भट्टी आदि उपस्थित थे।
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