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खोरठा दिवस/श्रीनिवास पानुरी जयंती सह एकदिवसीय संगोष्ठी" का सफल आयोजन

आज मारवाड़ी महाविद्यालय, रांची में प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार के दिशानिर्देश एवं आदेशानुसार जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा(खोरठा) द्वारा "खोरठा दिवस दिवस/श्रीनिवास पानूरी जयंती सह एकदिवसीय संगोष्ठी" का आयोजन अत्यंत ही धूमधाम से सफलतापूर्वक किया गया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मारवाड़ी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार, डॉ. विनोद कुमार, समन्वयक जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग सह विभागाध्यक्ष खोरठा भाषा विभाग, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची एवं विशिष्ट अतिथि खोरठा साहित्यकार डॉ. गजाधर महतो ' प्रभाकर' एवं रामगढ़ महाविद्यालय, रामगढ़ के खोरठा सहायक प्राध्यापक श्री बीरबल महतो के साथ आमंत्रित अतिथियों में  प्रोफेसर इंचार्ज डॉ. आर.आर. शर्मा, डॉ. तरुण चक्रवर्ती, डॉ. अरविंद कुमार साव, डॉ. रितु घांसी, डॉ. दिनेश दिनमणि, श्री कृष्णकांत आदि की गरिमामई उपस्थिति रही । अतिथियों का अभिनंदन मांदर और नगाड़े के थाप पर पुष्प अर्पित एवं तिलक लगाकर किया गया । कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियों के द्वारा श्रीनिवास पानूरी जी के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर किया गया ।  खोरठा भाषा के सहायक प्राध्यापक डॉ. अवध बिहारी महतो द्वारा सभी अतिथियों के साथ प्राचार्य महोदय का स्वागत अंगवस्त्र, प्रतीक चिन्ह एवं शुभ पौधा देकर किया गया । उन्होंने स्वागत भाषण में कहा खोरठा जो झारखंड में सबसे अधिक लोगों के द्वारा प्रयोग की जाने वाली भाषा है l इसे पुनर्जीवित करने का कार्य श्रीनिवास पानूरी जी ने साहित्य रचना के साथ किया इनका सहयोग  स्व. विनोद बिहारी महतो एवं ए.के. राय जैसे आंदोलनकारियों ने किया ।  इनके सामूहिक प्रयास से खोरठा पुनर्जीवित होकर आगे बढ़ा । इन्होंने साहित्य की रचना कर खोरठा शिष्ठ-साहित्य को और आगे ले जाने का कार्य किया । आज का यह विशेष दिन उन्हीं के जन्मदिन पर हमसब "खोरठा दिवस" मना  रहें हैं । आज का यह विशेष दिन इस लिए भी खास है कि इसी दिन प्रभु ईशा मसीह और झारखंड के आंदोलनकारी  शहीद निर्मल महतो जी का भी जन्मदिन है । खोरठा भाषा के भीष्म-पितामह कहे जाने वाले श्रीनिवास पानूरी जयंती के अवसर पर आज हम खोरठा दिवस सह एकदिवसीय संगोष्ठी के लिए हमारे महाविद्यालय में खोरठा भाषा के विद्वान, शिक्षक, छात्र-छात्राओं के साथ हमारे महाविद्यालय के प्राचार्य, प्रोफेसर इंचार्ज, छात्र संकायाध्यक्ष के साथ समस्त उपस्थित शिक्षक इस जे.सी. बोस सभागार में हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है ।
 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. विनोद कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि खोरठा हमारी मातृभाषा है और इससे ही हमारी पहचान है । इसे संरक्षित कर इसके माध्यम से हम आगे बढ़ेंगे । ऐसा हमारा विश्वास है ।इसमें आप सभी का सहयोग अपेक्षित है । डॉ. मनोज कुमार ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मातृभाषा सभी की होती है पर जिस भाषा के माध्यम से रोजगार उपलब्ध हो, वही विकास करता है । हमारा प्रयास सिर्फ भाषा कार्यक्रम तक सीमित न हो इससे आगे बढ़ने के लिए नित्य नए कार्य किए जाने की आवश्यकता है । आप भाग्यशाली है आपके राज्य में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा जिसमे खोरठा की भी पढ़ाई की जा रही है l आज के बाद जब अगली बार भाषा कार्यक्रम में जुटे तो एक वर्ष में हमने अपनी भाषा एवं संस्कृति के लिए क्या-क्या कार्य किया ? उसकी समीक्षा होनी चाहिए । इससे हमारी भाषा और संस्कृति संरक्षित हो सकेगी । इससे भाषा को आगे बढ़ाए जा सकेगा । हमारा महाविद्यालय प्रशासन सभी को हर संभव मदद देने को हमसे तैयार है । अपनी भाषा एवं संस्कृति से हमे हमेशा जुड़ा रहना चाहिए l यह हमें जन्मभूमि से जुड़ा रखता है । कहा भी गया है कि जन्मभूमि स्वर्ग से भी ऊपर होता है । आप सभी को  सफल कार्यक्रम की बधाई ।  डॉ. आर.आर. शर्मा द्वारा कहा गया कि गरीबी की जिस पड़ाव से श्रीनिवास पानूरी जी ने खोरठा साहित्य को आगे ले जाने के लिए साहित्य की रचना की वह काबिले तारीफ है ।उनके कृतियों के कारण ही उनके जन्मदिन पर आज जो खोरठा दिवस मनाया जा रहा है । वह उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है । डॉ. गजाधर महतो 'प्रभाकर' द्वारा विचार व्यक्त करते हुए कहा गया कि खोरठा झारखंड में 24-जिला में से 16-जिला में बोली जाती है । खोरठा शिष्ट-साहित्य में खोरठा को पुनर्जीवित करने का कार्य श्रीनिवास पानूरी जी ने किया ।इसके बाद खोरठा साहित्य की रचना लगातार बढ़ती गई और आज हम यहां तक पहुंच पाए हैं । डॉ. दिनेश दिनमणि द्वारा विचार व्यक्त किया गया कि खोरठा हमारी मातृभाषा है और इसपर हमें गर्व है । श्रीनिवास पानूरी जी को भुलाया नहीं जा सकता है  । मुझे आशा है कि यह कार्यक्रम आगे और भी भव्य रूप से मनाया जाएगा । पूरे कार्यक्रम का संचालन खोरठा भाषा सहायक प्राध्यापक डॉ. अमित कुमार चौधरी के द्वारा किया गया । उन्होंने भाषा और संस्कृति को संरक्षित एवं संवर्धित करने के लिए सब सभी को बढ़-चढ़ कर भाग लेने का आह्वान किया गया l  हमारी भाषा और संस्कृति  तभी बची रहेगी जब सबकी भागीदारी होगी ।
 श्री बीरबल महतो द्वारा कहा गया कि खोरठा के विकास के लिए हम सभी खोरठा भाषी को आगे आना होगा  । इसमें महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय को भी सहयोग करना होगा l इनके सहयोग से भाषा एवं संस्कृति का विकास किया जा सकेगा । इस कार्यक्रम में मारवाड़ी महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ एन.एन. सी. के कैडेटों ने भी अपने- अपने विचार व्यक्त किए । स्नातकोतर अंग्रेजी की छात्रा खुशबू कुमारी द्वारा सीखोरठा भाषा दिवस एवं श्रीनिवास पानूरी की जीवनी' पर प्रकाश डाला गया । उनके द्वारा खोरठा भाषा की मार्मिक गीत जो उनके जीवन से संबंधित था प्रस्तुत किया गया-  
कते कानदब गे दइआ, देहीओ छटकी गेल-2
मइआ बपा मोरी गेल, कोइओ नाई साथे देल ।
कते कानदब गे दइआ, देहीओ छटकी गेल-2
आजा आजी पोसी लेल, सोभे कोइ छोड़ी देल ।
कते कानदब गे दइआ, देहीओ छटकी गेल-2 ।
खोरठा के छात्र विशाल कुमार, मनोविज्ञान के छात्र आयुष राज राणा, वाणिज्य के छात्र नितिन कुमार, गणित के छात्र अमित कुमार सिंह, बी.एस.सी.(आई. टी.) के छात्र अभय कुमार, खोरठा के छात्र अमर यादव आदि ने भी इस दिन की महता पर प्रकाश डाला । रामगढ़ महाविद्यालय, रामगढ़ की छात्रा पुष्पा कुमारी द्वारा खोरठा भाषा की महता बतलाते हुए गीत प्रस्तुत किया गया ।
कार्यक्रम के अंत में खोरठा भाषा के सहायक प्राध्यापक सह एन.सी.सी. के केयर टेकर ऑफिसर डॉ. अवध बिहारी महतो द्वारा इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया गया । आभार स्वरूप उन्होंने कहा कि आज जिन्होंने भी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग किया उनके प्रति हमारे भाषा विभाग की ओर से हार्दिक बधाई   और आभार । हम आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास करते हैं कि इसी प्रकार का सहयोग आगे भी हमें मिलता रहेगा । आपके इस कार्यक्रम की उपस्थिति ने हमें गौरवान्वित किया है । इसके लिए आप सभी का दिल से आभार ।
"खोरठा दिवस/श्रीनिवास पानूरी जयंती सह एकदिवसीय संगोष्ठी" कार्यक्रम के प्रतिभागियों को प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार के द्वारा प्रशस्ति-पत्र, मोमेंटो एवं मैडल प्रदान कर सम्मानित किया गया ।
कार्यक्रम को सफल बनाने में छात्र रोशन लाल, रवि विश्वकर्मा, अंकित कुमार, कमलेश कुमार महतो, अमित कुमार महतो, आशीष कुमार महतो, शिवचरण महतो आदि की महती भूमिका रही ।