Ticker

6/recent/ticker-posts

डॉ. गजाधर महतो प्रभाकर जी को मिला "साहित्य शिखर सम्मान"

डॉ. गजाधर महतो प्रभाकर जी को खोरठा प्रभाग से मिला "साहित्य शिखर सम्मान" अब ना राहा पटाइल खोरठा कविताक गोंछ कृति पर ।
ये सम्मान अखिल झाड़खंड साहित्य अकादमी के तत्वाधान में ओयोजित झाड़खंड साहित्य पुरस्कार 2025 अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के दिन प्रेस क्लब में दिया गया। जिसमें प्रभाकर जी को प्रशस्तिपत्र , स्मृति चिन्ह, अंग वस्त्र, पुष्प गमला और पांच हजार की नगद राशि दी गयी।
अखिल झारखंड साहित्य अकादमी की तत्वावधान में आयोजित 'साहित्य सम्मान' के निमित्त डॉ. गजाधर महतो प्रभाकर को दिया जिनका परिचय एवं उपलब्धियां इस प्रकार है - 
खोरठा भाषा पर सबसे पहला पीएच.डी. धारक एवं खोरठा वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गजाधर महतो प्रभाकर का जन्म 11 फरवरी 1952 को ग्राम साहेदा पोस्ट हलमाद थाना सिल्ली, जिला रांची के एक किसान परिवार में हुआ है। इनके पिता का नाम स्व. जगन्नाथ महतो तथा माता का नाम स्व. लाखों देवी है। इनकी शैक्षणिक योग्यता एम.ए. बी.एड, पीएच.डी है।

इन्होंने पढ़ाई हिंदी विषय से स्नातक प्रतिष्ठा, स्नातकोत्तर हिंदी से और पीएच. डी भी हिंदी विभाग से ही किया है, किंतु इनके शोध का विषय था 'खोरठा लोककथा विषय और विश्लेषण' जिसे 1990 में शोध प्रस्तुत करके पीएच. डी की उपाधि ग्रहण की है।

वृत्ति- 1978 ई. से विद्यालय महात्मा गांधी उच्च विद्यालय भुरकुंडा के शिक्षक रहे हैं और अवकाश ग्रहण के बाद अप्रैल 2012 ई. से 2017 ई. तक बिरसा मुंडा इंटर कॉलेज रामगढ़ कैंट में प्राचार्य के पद पर कार्यरत रहे हैं। जन्म स्थान की दृष्टि से इनकी मातृभाषा कुरमाली है पर इन्होंने कुरमाली में न लिख कर खोरठा में रुचि अधिक दिखाई है तथा खोरठा भाषा के उन्नयन एवं संवर्द्धन में अपने जीवन को समर्पित कर दिया है।

इसके पीछे का एक ही कारण है इनका लालन-पालन खोरठा क्षेत्र ग्राम उसरा, थाना-जिला रामगढ़ से हुआ है।

पढ़ाई-लिखाई का कार्य भी इसी क्षेत्र से हुआ है।

शिक्षा- प्राथमिक शिक्षा ग्राम उसरा से, माध्यमिक शिक्षा कृष्णा वल्लभ आदर्श उच्च विद्यालय लारी से और उच्च शिक्षा / कॉलेज की शिक्षा रामगढ़ कॉलेज रामगढ़ से प्राप्त की है।

यह रामगढ़ का क्षेत्र खोरठा भाषा का क्षेत्र है और नौकरी का काम भी यह इसी जिला के अंतर्गत् किए हैं, इसीलिए खोरठा के प्रति उनकी रुझान अधिक है।

साहित्य जगत में प्रवेश-

साहित्य जगत में 1970 में प्रवेश किये हैं। पहले हिन्दी में रचनाएं लिखते थे। खोरठा में लिखने की सलाह ए. के. झा ने दी और आकाशवाणी रांची में झा जी ने नाम लिखा दिया। 20 मार्च 1983 ई. को इनकी पहली कहनी प्रसारित हुई। इसके बाद इनके मन में खोरठा के प्रति रुचि बढ़ी। 1984 में इन्होंने हिंदी से एम. ए. किया, उसी वर्ष जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में खोरठा की पढ़ाई शुरू हुई थी। 1986 में खोरठा से एम.ए. करने के लिए नाम लिखाने के लिए विभाग पहुंचे की वहां के तत्कालीन विभाग के प्रभारी डॉ. बी.पी. केसरी सर ने सलाह दी कि आप पीएच.डी कीजिए, क्योंकि एम. ए कर चुकने के कारण आपका नामांकन नहीं हो सकता है। ओरिएंटेसन कोर्स शुरू करने जा रहे हैं। इन्होंने वहां नामांकन तो कराया, पर कतिपय कारणों से जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग से पीएच. डी नहीं कर पाए और हिन्दी से ही पीएच. डी की, पर विषय वही रहा- "खोरठा लोककथा : विषय और विश्लेषण"। खोरठा के प्रति इनकी रूचि कम नहीं हुई और अनवरत सेवा जारी रहा। 2006 में जब झारखंड अधिविद्य परिषद् द्वारा आयोजित परीक्षा नवम एवं दशम् के विद्यार्थियों को जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा पढ़ने और परीक्षा देने की शुरूआत हुई तो इन्होंने खोरठा पढ़ाना शुरू किया। 2012 के बाद इंटर कॉलेज में पदस्थापित हुए तो वहां भी हिंदी के साथ खोरठा पढ़ाने लगे।
2017-18 से जेएसएससी, जेपीएससी एवं विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग द्वारा आयोजित परीक्षाओं के लिए गाइड एवं पासपसेर्ट बुक बनाना शुरू किए हैं। इस तरह खोरठा विद्यार्थियों को निराश नहीं करने के उद्देश्य से पुस्तकें लिखना इनकी प्राथमिकता रही है और जीवनपर्यन्त निरन्तर जारी रहेगा।

कृतियां खोरठा एवं हिन्दी भाषा में इनकी निम्नलिखित रचनाएं प्रकाशित हैं तथा कुछ प्रकाशाधीन हैं-

1. पुटुस फूल (खोरठा कहानी संग्रह)
2. आब ना रहा पटाइल (खोरठा कविता संग्रह)
3. खोरठा आलेख (आकाशवाणी द्वारा प्रसारित खोरठा वार्ता संग्रह)
4. खोरठा भाषा व्याकरण
5. खोरठा साहित्यिक निबंध
6. खोरठा लोक साहित्य सार
7. खोरठा भाषा और साहित्य (जेपीएससी, मेन्स)
6. खोरठा साहित्य एवं साहित्यकार
9. खोरठा की प्रतिनिधि कहानियां (सम्पादित खोरठा कहानी संग्रह, स्नातक के लिए)
10. केंवराक गमक (सम्पादित खोरठा कविता संग्रह, स्नातक के लिए)
11. दु डाइर करंज फूल (सम्पादित खोरठा गद्य-पद्य संग्रह, 8 वीं कक्षा के लिए)
12. खोरठा साहित्य की अन्य विधाएं (स्नातक एवं सीजीएल के लिए)
13. साहित्य सिद्धान्त (हिन्दी में)
14. गांधी मानस (हिन्दी कविता संग्रह)
15. कली और फूल (हिन्दी कविता संग्रह)
16. मरीचिका (हिन्दी लघुकथा संग्रह)
17. सामान्य हिन्दी
18. हिन्दी भाषा और साहित्य (जेपीएससी, मेन्स)
19. खोरठा लोककथा: विषय और विश्लेषण (शोध ग्रंथ)
20. सतवइ माय (खोरठा नाटक, प्रकाशनाधीन)
इनके अलावे आठवीं से लेकर इंटर तक जैक द्वारा आयोजित परीक्षाओं के निमित्त छात्रों के लिए गेस पेपर एवं पासपोर्ट बनाना तथा विनोबा भावे विश्वविद्यालय के सभी सेमेस्टर का पासपोर्ट तैयार करना इनका प्रमुख कार्य है।