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वयोवृद्ध खोरठा साहित्यकार विश्वनाथ प्रसाद नागर के निधन पर खोरठा जगत् के साहित्यकारों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों और खोरठा प्रेमियों ने शोक संवेदना प्रकट की।

धनबाद, भुदा निवासी दिवंगत साहित्यकार नागर जी का जन्म 7 जनवरी, 1939 हुआ था और 86 वर्ष की उम्र में दिनांक 15 मार्च 2025 को हो गया। 
    नागर जी खोरठा आंदोलन के अग्रणी पंक्ति के साहित्यकार थे। इन्होंने खोरठा के महान् साहित्यकार श्रीनिवास पानुरी के साथ जुड़कर खोरठा आंदोलन में अपना अहम योगदान किया था। नागर जी उच्च कोटि कवि थे। इनकी रचनाओं में छायावादी शैली की छाप देखी जाती है। 'रांगा लाठी', सुलकसाय (मौलिक काव्य) और खइयाम तोर मधुगीत और गीता(अनुवाद काव्य) इनकी प्रकाशित कृतियां हैं। इनकी कई गद्य रचनाएं अप्रकाशित हैं। 
    अपने दिवंगत साहित्यकार के शोक में बोकारो में उपस्थित होकर खोरठा साहित्यकार शांति भारत, डॉ दिनेश दिनमणि, संदीप कुमार, अशोक कुमार रजक विकास कुमार करमाली,
विवेक भूषण मुर्मू, पांडव महतो, आनंद महतो, विकास करमाली, उज्जवल दास, सचिन कुमार महतो, राजीव महतो, राहुल कुमार, विक्रम कुमार, मुकेश बंसरिआर, रोहित कुमार, राढ़ करम महतो, मनोज कुमार महतो
सिमन महतो, हरिराम महतो, रवि कुमार महतो, राकेश प्रमाणिक, चुन्नीलाल माहतो आदि ने दो मिनट का मौन धारण कर अपनी संवेदना प्रकट की साथ ही अपने पुरोधा साहित्यकार की कृतियों को याद किया गया और श्रद्धांजलि दी गई।