खोरठा भासाक 'भीष्म पितामह' श्रीनिवास पानुरी जी
खोरठा भासाक सिस्ट साहितेक जनक, 'बाल्मिकी' आर 'भीष्म पितामह' कर नाम से जानल जा हथ खोरठाक महान कवि श्रीनिवास पानुरी । इनखर जनम 25 दिसम्बर 1920 इस्वीञ झारखण्ड राइजेक धनबाद जिलाक बरवाअड्डा गांवे एगो साधारन पइरवारे हेल रहे । इनखर बापेक नाम शालिग्राम पानुरी आर मायेक नाम दुखनी देवी हइन। पानुरी जी छउवे घरी चनफन आर चेठगर रहथ संगे आपन मांय माटी मातरीभासाक परति अगाध परेम हलअइन। इनखर मगजे छउवे बेरा ले आपन भासाक खातिर कुछो करेक सपुन हल।
गरीबीक चलते बेसी पढ़ाइ नाञ करे पारला तावो पानुरी जी आपन लिखाइ-पढ़ाइ कोन्हो रकम 1939 में मेटरिक परिक्छा लिइख पास करला । हाँलाकि उनखर पढ़ेक मन त हलअइन मेन्तुक भगवानों उनखर संग नाञ देला काहे कि 1944 बछरें उनखर मांय ई दुनियाञ के छोइड़ के चइल देला । सइ तखने पानुरी जीक कंधाञ घार पइरवार चलवेक बड़का बोझ लदाइ गेल । घर पइरवार चलवे आर आपन आप के सम्भरवें खातिर बरवाअड्डाक पुरना बजारे पान गुमटीक एगो दोकान खोइल देला । आर कोन्हो रकम आपन पइरवार के पेट पोसे लागला । इनखर बाप खेती-बारीक काम करो हलथ । मेन्तुक चासाक कामे की घर चले । पानुरी जी आपन पढ़ाइ छोइड़ के पान, चुन आर कत्थाक बेपार सुरू कइर देला । एतना हेलो बादे पानुरी जीक मांय माटी आर मातरीभासाक परति परेम आर कम नाञ भेल हलअइन।
पानुरी जी एगो जनवादी विचार धाराक लोक रहथ तकरे चलते झारखंडेक नेता बिनोद बिहारी महतो आर ए.के राय से ढ़ेइर मेल जोल रहे । ई सब जहिया धनबाद जाइ तला तखन इनखर पान गुमटीञ पान खाय के जाइ तला आर दू चाइर गो गीत-कविताउ सुनइतला । एहे लगस्तर चलइत रहल ।
पानुरी जीक खोरठा साहिते जोगदान - पानुरी जी साहित जगते 1946 में आपन गोड़ राखला जखन कवि सम्मेलन में गीत आर कविता सुने पइला हाँलाकि पानुरी जी छउवा गरी ले रहे गीत गावो हलथ आर कविता लिखो हलथ मेन्तुक सुनल बादे इनखर मन गीत कविता लिखेक बाटे टानाइल । आर लगस्तर लिखइत रहला । संगे संग उनखर परिचय बोड़- बोड़ कवि साहितकार संगे हवे लागल जकर में राहुल सांकृत्यान , राधाकृष्ण , हंस कुमार तिवारी , राम दयाल पाण्डेय, जानकी वल्लभ शास्त्री , भवानी प्रसाद मिश्र, वीर भरत तलवार आरो- आरो परमुख रूपे रहथ ।
महा पंडित राहुल सांकृत्यायन जी उनखर नामे एगो चिठ्ठी लिखला जे ई नियर हे - " मातृभाषाओं का अधिकार कोई छीन नहीं सकता है न ही लोक कविता को आगे बढ़ने से कोई रोक सकता है, हाँ कविता करने में आप साहित्यिक कवियों की कविताओं की अनुकरण हर्गिज न करें । उसके लिए आदर्श है लोक कवि और उनकी अछुती भाषा ।"* ई चिठ्ठी से पानुरी जी के ढ़ेइर परभावित करला संगे खोरठा लिखे में प्रेरित भी हेला ।
पंडित रामदयाल पाण्डेय जी पानुरी के खोरठाक 'बाल्मिकी' आर 'अखय बोर' कहल हथ । एतने नाञ पाण्डेय जी एगो जगहें कहल हथ जे - " मुझे तो अद्भुत युग चेतना पानुरी जी की रचना से हुई है और कितनी ही पंक्तियाँ से मैं बहुत प्रभावित हुआ हूं । उनकी पंक्ति बड़ी ही युग-चेतना सम्पन्न उद्बोधक तथा ओजस्विनी तेजस्विनी है।"* एतने नाञ खोरठा साहितकार विश्वनाथ दसौधीं 'राज' जी त इनखा खोरठाक 'भीष्म पितामह' कहल हथ ।
पानुरी जी आपन पान गुमटी त चलाइबे कर हला संगे- संग खोरठा में हूं आपन कलम के सनसनाइ के चलावते रहला अंते एगो खोरठाक पहिल किताब 'बाल किरण' 1954 में छपाइ देला । एहे लगस्तर कलमेक धारा चलइते रहला जहां साहितेक भिनु-भिनु विधा कविता, कहनी, उपन्यास , नाटक, खंड काइब आरो लेख लिखइत रहला आर एगो 'मातृभाषा' नामेक एगो पतरिका 1956-1957 में बहरवला । सइ समय तक पानुरी जी ढ़ेइर नामजइका होइ गेल रहथ । कुछो बछरेंक बादे एगो खोरठा भासाक विकास खातिर एगो समिति बनाउला । आर 1970 में 'खोरठा' नामेक एगो दूसर पतरिका बहरवला । राँची विश्वविद्यालय कर अंतर्गत, जनजातीय एंव क्षेत्रीय भासा विभागेक गठन भेल जहां खोरठाक पढ़ाइ 1984 में सुरू भेल । पानुरी जी हुवांक सिलेबस बोर्ड कर आजीवन सदस्य बनला । पानुरी जी सदस्य बनल बादे खोरठा भासा में आरो बइढ़- चइढ़ के काम करइत रहला मेन्तुक ई दुनियाञ के जे रित बनल हे, तकरा आइज तक कोइ मिटवे बा टाले नाञ पारल हथ , माने पानुरी जी 07 अक्टूबर 1986 के आपन भरल पुरल पइरवार आर खोरठा जगत के छोइड़ पांच तत्वे मेसाय गेला । पानुरी जी आइझ हामनिक बीचे नेखथ मेन्तुक उनखर विचार आइझ हामनिक ठांवे एखनो गदगदाइ रहल हे ।
उनखर परमुख रचना -
कविता संग्रह- बाल किरण,आँखिक गीत, तितकी ।
खंड काव्य - रामकथामृत , अगनि परीछा, मेघदूत।
नाटक - उद्भासल कर्ण , चाभी-काठी ।
आरो अइसन ढ़ेइर रचना हइन जे एखन तक छपल नखइ - पारिजात (काव्य), अपराजित (काव्य), मोहभंग , हमर गाँव, भ्रमरगीत, युगेक गीता , छोटो जी (हास्य-व्यंग्य) समाधान , मेरे गीत । कहनी - रकतें भींजल पाँखा। हालाँकि इनखर आरो अइसन ढ़ेइर रचना के पता नाञ चलल हे । एखनहु इनखर रचना में शोध करेक जउरत हे ।
पानुरी जी वाकइ में पानुरी जी रह हला इनखर भासा सइली एकदम ठेठ खोरठा तकर संगे हिन्दी करो परभाव पावा हल । इनखा खोरठाक 'सिस्ट साहितेक जनक' कहल गेल हे ।
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