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हिन्दी व खोरठा के कवयित्री सुजाता कुमारी को मिला सुशीला समाद स्मृति युवा सम्मान 2025

सुशीला सामद, जो हिंदी की पहली भारतीय आदिवासी कवयित्री, पत्रकार, संपादक और स्वतंत्रता आंदोलनकारी हैं, के नाम से सम्मानित होना गौरवान्वित करता है।

यह सम्मान समारोह झारखंड साहित्य अकादमी संघर्ष समिति द्वारा आयोजित तृतीय अलंकरण समारोह के अंतर्गत दिया गया। यह समिति के सदस्यों द्वारा निजी रूप से जुटाए गए धनराशि और प्रयास के कारण संभव हुआ है। 

विदित है कि झारखंड सरकार अकादमी गठन को लेकर अब तक उदासीन ही रही है। इस कारण झारखंड में जो काम सरकारी स्तर पर आर्थिक और अन्य सहयोगी दृष्टियों से आयोजित कर यहाँ के साहित्यिक-सांस्कृतिक माहौल को फलने-फूलने में मदद कर सकती हैं, अभी उसकी गति धीमी है। सरकार के ध्यानाकर्षन के लिए कई समूह इस दिशा में प्रयासरत हैं। झारखंड साहित्य अकादमी संघर्ष समिति ने इस दिशा में लगभग 5-6 वर्ष पहले सर्वप्रथम प्रयास किया और उसी क्रम में पिछले तीन वर्षों से अलंकरण समारोह आयोजित कर यहाँ के साहित्यिक संस्कृति को प्रोत्साहित करने का काम कर रही है। 

जरूरी है कि सरकार इस दिशा में शीघ्रातिशीघ्र ध्यान देकर राज्य में साहित्य अकादमी गठन करें ।