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करम गीतों की प्रासंगिकता (खोरठा में)

डॉ. कृष्णा गोप : एक परिचय

करम गीतों की प्रासंगिकता 


परकीरतिक रूपे करम गाछ के पुजेक ढेइर परिया से मनवल  आय रहल हे कर्मटाय पुजा लागय , परबेक मुइख संदेस हय साहितिक नजइरे देखल जाय कर्मकर अउजी सबदकरमा बा करम  हे , माने करम टाय धरम हे परब खाइस कइर के इसतीरी (स्त्री) परधान लागे    'आपन करम ,भइयाक धरम' भायबहिनेक पियार के देखे मिले हे करम आदिवासी आर सदान दुइयोक  ढेइर परचल परब हे , मकिन दुइयोक मनवेक नेगजोग कटि फरक हय करम धरमेक खातिर ,बेथा आर अभावेक मुकति पावे खातिर करम गोसाई  के मनावहथ करम सुखसांती कर परतिक हय
        करम परब भादर मासेक सुक्ल पक्छ कर  एकादसी मे मनावल जाहे  
एकर मे कुंवारी बेटी छउआ आर डगुंवा (बिहा हेल बेटी छउवा जेकर गिदर  नाय रहे ) बेटी छउवा सब करहथ परब के नउ , सात , पांच , तीन दिनेक करल जाहे एकर खातिर बांसेक बनल नावामउनी आर टुपा लइके  बांध, नदी, पोखइर चाहे, जेकर ईसब के सुबिधा नाय रहे हे, आपन घरेक कुंञाक पानी लइके ओकर मे   बाला डालो हथ जेकर मे जोंड़रा , बुट , उरीद, करथी, जउ आर धानेक गोटा लइके तेल - हरदी संगे साइन के बुनल जाहे जेकराजावाकहल जाहे
खोरठा के आधुनिक कवि : संदीप कुमार महतो
जावा उठवेक गीत -
जावा डाली...  जावा डाली  ..... 2 उठलय करमाक बाली कहुं डाली दुख सुख बात किया कहबो भाइरे दुखो सुखो बतिया माञ मरलो छउ मास ......


उठवल बादे रोइज राइते दु चाइर गो बेटी छउआ मिइल के आपन जावा लइके  आखरा बा  कुल्ही मे राइख के ओकरा गीत नाच कइर के बेहराव हथ आर जगवो हथ अइसन गीत नाच करमेक दिन तइक चलइते रहे हे

जावा जगवेक गीत -
इति - इति जावा किया - किया जावा जावलो माँञ दाना बहूरा....

कोने देलय डाला टोकी कोने देलय करम साड़ी कोने गो देलय कोने देलय टिकली सिन्दूर....


जे बेटी छउआ करमेक संजोत उपास करहथ , ओकरा 'करमइती' कहल जाहे करमेक दिने करमइती सब साइंज बेराञ धान फुल आर बेलन चिञा  फुल लरही आन्हो हथ

फूल लोरहेक गीत-

कोन्हो फुले डाली सोभतो सखी बांसी बाजे रे .....
डालीम  फुले डाली सोभतो सखी बांसी बाजे रे ......


आर नाहाय धोय के तइयार होय के नावा नावा लुगा पाटा पिंइध के दिया , अंकरी ,धान फुल बेलन चिञा  फुल , अरवा चार , एगो खीरा बेटा , आर एगो खीरा जेकरा चाकता करे खातिर  एगो रांगल  डाली  मे साजो हथ उपर से पेचकी पाते ढाइप के जाहथ डाइर पुजेक खातिर हुन्दे नया ( पावन) करम डाइर काइट आइन गाडे हे पुजाक समये गांवेक गोड़ाइत हांक दे हेपुजाक सवंय होय गेल हे , गांवेक  करमइती आवा आर आपन - आपन पुजा करा गांवेक सब करमइती आय के डाइर पुजो हथ पुजल बादे पाहन , गोडाइत बा गांवेक परधान के बाटे से करमा धरमा कर कहनी कहल जाहे आखरांञ  जुमल जुटल सब बड़ी धेयान से सुनो हथ तकर बादे करमइती सब मिइल के नाचो गावो हथ जनी मरदना सब राइत भइर झुमइर खेलो हथ
खोरठा के बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे : जनार्दन गोस्वामी व्य'थित
झुमइर-
आखरा बंधना करु सरस्वती मइया हरि एबे रे बन्दना ब्रज नारी आखरे झुमइर लागल भारी....
डाइर जागवेक गीत-


तेली घारेक तेल बाबा कुम्हार घारेक दिया जोल्हा घारेक बाती बरे सारा राती ....... 2

करमइती सब घर जाय के मिठा चीज मे कोन्हो मोन्हो खा हथ नुनेक चीज छोइड़ के
दोसर दिन बिहाने उइठ के करम डाइर , फुल आर  जावा के काइट  राखो हथ ओकर बादे  बांधे चाहे नदी मे भसवो हथ

डाइर भासवेक गीत -
जाहु- जाहु करम गोसाईं जाहु एक छउ मास रे  ... 2
आवतो भादर मास आनबो घुराइ रे ........ 2

डॉ. अजय कुमार : एक परिचय
आय के पहिल चल्होसियारी के बासी भात पेचकी पाते सारय पातेक दोना मे पानी ओकर बादे करमइती सब  बासी भात खा हथ   राखल  जावा के  छाइने , लत  - फते कुञांय खेतबारी मे दे हथ जेकर से कोन्हो पोका - माकर नाय लागे हे सये दिन घरे घरे करमेक पात आर खेते जोंड़राक डाइर खोंसथ आर गाड़ल जा हथ
           भावे देखल जाय करम सुखसांती आर पियारेक परब हे करमे ढेइरे रकमेक गीत नाच आर झुमइरे  परकीरतिक बरनन मिले हे आइज काइल पछमी सभ्यता आय के  बेटी छउआ सब करम गीत के भुलाय लागला आवे  सवंय मे संसकीरति  बचाय के राखेक खातिर पछमी सभ्यता के छोइड आपन भासा संसकीरति के अपनावेक चाही जेटा हामर चिन्हा बा पहचान लागे ।।

 संदीप कुमार महतो